Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 476
________________ सप्तम वक्षस्कार ] उपयोग में आते हैं ? गौतम ! जम्बूद्वीप में कम से कम २८ तथा अधिक से अधिक २१० पञ्चेन्द्रिय - र परिभोग-उपयोग में आते हैं। भगवन् ! जम्बूद्वीप में कितने सौ एकेन्द्रिय- रत्न होते हैं ? गौतम ! जम्बूद्वीप में २१० एकेन्द्रिय - रत्न होते हैं । [ ४१३ - रत्न यथाशीघ्र भगवन् ! जम्बूद्वीप में कितने सौ एकेन्द्रिय- रत्न यथाशीघ्र परिभोग-उपयोग में आते हैं ? गौतम ! कम से कम २८ तथा अधिक से अधिक २१० एकेन्द्रिय-रत्न यथाशीघ्र परिभोग-उपयोग में आते हैं। विवेचन - ज्ञाप्य है कि यहाँ निधि-रत्नों, पञ्चेन्द्रिय-रत्नों का वर्णन चक्रवर्तियों की अपेक्षा से है । जम्बूद्वीप के महाविदेह क्षेत्र के बत्तीस विजयों में बत्तीस तथा भरतक्षेत्र और ऐरवत क्षेत्र में एकएक तीर्थंकर जब होते हैं तब तीर्थंकरों की उत्कृष्ट संख्या ३४ होती है। अब जम्बूद्वीप के पूर्वविदेह क्षेत्र में शीता महानदी के दक्षिण और उत्तर भाग में एक-एक और शीतोदा महानदी के दक्षिण और उत्तर भाग में एक-एक चक्रवर्ती होता है, तब जघन्य चार चक्रवर्ती होते हैं । जब महाविदेह के ३-२ विजयों में से अट्ठाईस विजयों में २८ चक्रवर्ती और भरत में एक एवं ऐरवत में एक चक्रवर्ती होता है तब समग्र जम्बूद्वीप में उनकी उत्कृष्ट संख्या ३० होती है । 1 स्मरण रहे कि जिस समय २८ चक्रवर्ती २८ विजयों में होते हैं उस समय शेष चार विजयों में चार वासुदेव होते हैं और जहाँ वासुदेव होते हैं वहाँ चक्रवर्ती नहीं होते। अतएव चक्रवर्तियों की उत्कृष्ट संख्या जम्बूद्वीप में तीस ही बतलाई गई है। चक्रवर्तियों की जघन्य संख्या की संगति तीर्थंकरों की संख्या के समान जान लेना चाहिए । जब चक्रवर्तियों की उत्कृष्ट संख्या तीस होती है तब वासुदेवों की जघन्य संख्या चार होती है और जब वासुदेवों की उत्कृष्ट संख्या ३० होती है तब चक्रवर्ती की संख्या ४ होती है। बलदेवों की संख्या की संगति वासुदेवों के समान जान लेना चाहिए क्योंकि ये दोनो सहचर होते प्रत्येक चक्रवर्ती के नौ-नौ निधान होते हैं। उनके उपयोग में आने की जघन्य और उत्कृष्ट संख्या चक्रवर्तियों की जघन्य और उत्कृष्ट संख्या पर आधृत है । निधानों और रत्नों की संख्या के सम्बन्ध में भी यही जानना चाहिए । प्रत्येक चक्रवर्ती के नौ निधान होते हैं। नौ को चौतीस से गुणित करने पर ३०६ संख्या आती है । किन्तु उनमें से चक्रवर्तियों के उपयोग में आने वाले निधान जघन्य छत्तीस और अधिक से अधिक २७०

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