Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र
चक्रवर्ती के सात पंचेन्द्रियरत्न इस प्रकार हैं - १. सेनापति, २. गाथापति, ३. वर्द्धकी, ४. पुरोहित, ५. गज, ६. अश्व, ७. स्त्रीरत्न ।
४१४ ]
एकेन्द्रिय रत्न - १. चक्ररत्न, २. छत्ररत्न, ३. चर्मरत्न, ४. दण्डरत्न, ५. असिरत्न, ६. मणिरत्न, ७. काकणीरत्न ।
जम्बूद्वीप का विस्तार
२०९. जम्बूद्दीवे णं भंते! दीवे केवइअं आयाम - विक्खंभेणं, केवइअं परिक्खेवेणं, केवइअं उव्वेहेणं, केवइअं उद्धं उच्चत्तेणं, केवइअं सव्वग्गेणं पण्णत्ते ?
गोमा ! जम्बूद्दीवे दीवे एगं जोअण-सयसहस्सं आयाम - विक्खंभेणं, तिण्णि जोयणसयसहस्साइं सोलस य सहस्साइं दोण्णि अ सत्तावीसे जोअणसए तिण्णि अ कोसे अट्ठावीसं च धणुस तेरस अंगुलाई अद्धगुलं च किंचि विसेसाहिअं परिक्खेवेणं पण्णत्ते । एगं जोअण-सहस्सं उव्वेहेणं, णवणउतिं जोअण- सहस्साइं साइरेगाइं उद्धं उच्चत्तेणं, साइरेगं जोअण-सय-सहस्सं सव्वग्गेणं पण्णत्ते ।
[२०९] भगवन् ! जम्बूद्वीप की लम्बाई-चौड़ाई, परिधि, भूमिगत गहराई, ऊँचाई तथा भूमिगत गहराई और ऊँचाई - दोनों समग्रतया कितनी बतलाई गई है ?
गौतम ! जम्बूद्वीप की लम्बाई-चौड़ाई १,००,००० योजन तथा परिधि ३,१६,२२७ योजन ३ कोश १२८ धनुष कुछ अधिक १३ /, अंगुल बतलाई गई है। इसकी भूमिगत गहराई १००० योजन, ऊँचाई कुछ अधिक ९९,००० योजन तथा भूमिगत गहराई और ऊँचाई दोनों मिलाकर कुछ अधिक १,००,००० योजन हैं।
जम्बूद्वीप : शाश्वत : अशाश्वत
२१०. जम्बूद्वीपे णं भंते ! दीवे किं सासए असासए ?
गोयमा ! सिअ सासए, सिअ असासए ।
सेकेणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ सिअ सासए, सिअ 'असासए ?
गोयमा ! दव्वट्टयाए सासए, वण्ण-पज्जवेहिं, गंध- पज्जवेहिं, रस-पज्जवेहिं फास - पज्जवेहिं
असासए ।
से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ सिअ सासए, सिअ 'असासए ।
जम्बूद्दणं भंते! दीवे कालओ केवचिरं होइ ?
गोयमा ! ण कयाविणासि, ण कयावि णत्थि, ण कयाविण भविस्सइ । भुवि च, भवइ अ, भविस्सइ अ । धुवे, णिअए, सासए, अव्वए, अवट्ठिए, णिच्चे जम्बुद्दीवे दीवे पण्णत्ते । [२१०] भगवन् ! जम्बूद्वीप शाश्वत है या अशाश्वत ?
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