Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 439
________________ ३७६ ] [जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र विष्टिकरण होता है। चौथ को दिन में बवकरण होता है, रात में बालवकरण होता है। पाँचम को दिन में कौलवकरण होता है, रात में स्त्रीविलोचनकरण होता है। छठ को दिन में गरादिकरण होता है, रात में वणिजकरण होता है। सातम को दिन में विष्टिकरण होता है। रात को बवकरण होता है। आठम को दिन में बालवकरण होता है, रात में कौलवकरण होता है। नवम को दिन में स्त्रीविलोचनकरण होता है, रात में गरादिकरण होता है। दसम को दिन में वणिजकरण होता है, रात में विष्टकरण होता है। ग्यारस को दिन में बवकरण होता है, रात में बालवकरण होता है। बारस को दिन में कौलवकरण होता है, रात में स्त्रीविलोचनकरण होता है। तेरस को दिन में गरादिकरण होता है, रात में वणिजकरण होता है। चौदस को दिन में विष्टिकरण होता है, रात में शकुनिकरण होता है। अमावस को दिन में चतुष्पदकरण होता है, रात में नागकरण होता है। शुक्ल पक्ष की एकम को दिन में किंस्तुघ्नकरण होता है। संवत्सर, अयन, ऋतु आदि १८७. किमाइआ णं भंते ! संवच्छरा, किमाइआ अयणा, किमाइआ उऊ, किमाइआ मासा, किमाइआ पक्खा, किमाइआ अहोरत्ता, किमाइआ मुहुत्ता, किमाइआ करणा, किमाइआ णक्खत्ता पण्णत्ता ? गोयमा ! चंदाइआसंवच्छरा, दक्खिणाइया अयणा, पाउसाइआ उऊ, सावणाइआ मासा, बहुलाइआ पक्खा, दिवसाइआ अहोरत्ता, रोद्दाइआ मुहुत्ता, बालवाइआ करणा, अभिजिआइआ णक्खत्ता पण्णत्ता समणाउसो ! इति। पंचसंवच्छरिए णंभंते ! जुगे केवइआ,अयणा, केवइआ, उऊ,णंमासा, पक्खा, अहोरत्ता, केवइआ मुहुत्ता पण्णत्ता ? गोयमा ! पंचसंवच्छरिए णं जुगे दस अयणा, तीसं उऊ, सट्ठी मासा, एगे बीसुत्तरे पक्खसए, अट्ठारसतीसा अहोरत्तसया, चउप्पण्णं मुहत्तसहस्सा णव सया पण्णत्ता। [१८७] भगवन् ! संवत्सरों में आदि-प्रथम संवत्सर कौनसा ' हैं ? अयनों में प्रथम अयन कौनसा हैं ? ऋतुओं में प्रथम ऋतु कोनसी है ? महीनों में प्रथम महीना कौनसा है ? पक्षों में प्रथम पक्ष कौनसा है? अहोरात्र-दिवस-रात में आदि-प्रथम कौन है ? मुहूर्तो में प्रथम मुहूर्त कौनसा है ? करणों में प्रथम करण कौनसा है ? नक्षत्रों में प्रथम नक्षत्र कौनसा है ? - आयुष्मन् श्रमण गौतम ! संवत्सरों में आदि-प्रथम चन्द्र-संवत्सर है। अयनों में प्रथम दक्षिणायन है। ऋतुओं में प्रथम प्रावृट्-आषाढ-श्रावणरूप पावस ऋतु है। महीनों में प्रथम श्रावण है। पक्षों में प्रथम कृष्ण पक्ष है। अहोरात्र में-दिवस-रात में प्रथम दिवस है। मुहूर्तो में प्रथम रुद्र मुहूर्त है। करणों में प्रथम बालवकरण है। नक्षत्रों में प्रथम अभिजित् नक्षत्र है। ऐसा बतलाया गया है। १. ज्ञातव्य है कि यह प्रश्नोत्तरक्रम चन्द्रादि संवत्सरापेक्षा से है।

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