Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 457
________________ ३९४] [जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र भगवन् ! वर्षाकाल के चौथे-कार्तिक मास को कितने नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं ? गौतम ! उसे तीन नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं-१. अश्विनी, २. भरणी तथा ३. कृत्तिका। अश्विनी नक्षत्र १४ दिनरात परिसमाप्त करता है, भरणी नक्षत्र १५ दिनरात परिसमाप्त करता है तथा कृत्तिका नक्षत्र १ दिनरात परिसमाप्त करता है। (१४+१५+१=३० दिनरात = १ मास)। उस मास में सूर्य १६ अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है। उस मास के अन्तिम दिन ४ अंगुल अधिक तीन पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है। चातुर्मास हेमन्तकाल के प्रथम-मार्गशीर्ष मास को कितने नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं ? गौतम ! उसे तीन नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं-१. कृत्तिका, २. रोहिणी तथा ३. मृगशिर । कृत्तिका नक्षत्र १४ अहोरात्र, रोहणी नक्षत्र १५ अहोरात्र तथा मृगशिर नक्षत्र १ अहोरात्र परिसमाप्त करता है। (१४+१५+१=३० दिनरात = १ मास)। उस मास में सूर्य २० अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है। उस मास के अन्तिम दिन ८ अंगुल अधिक तीन पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है। भगवन् ! हेमन्तकाल के दूसरे-पौष मास को कितने नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं ? गौतम ! उसे चार नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं-१. मृगशिर, २. आर्द्रा, ३. पुनर्वसु तथा ४. पुष्य। मृगशिर नक्षत्र १४ रातदिन परिसमाप्त करता है, आर्द्रा नक्षत्र ८ रातदिन परिसमाप्त करता है, पुनर्वसु नक्षत्र ७ रातदिन परिसमाप्त करता है तथा पुष्य नक्षत्र १रातदिन परिसमाप्त करता है। (१४+८+७+१=३० दिनरात = १ मास) तब सूर्य २४ अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है। उस महीने के अन्तिम दिन परिपूर्ण चार पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है। भगवन् ! हेमन्तकाल के तीसरे-माघ मास को कितने नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं ? गौतम ! उसे तीन नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं-१. पुष्य, २. अश्लेषा तथा ३. मघा।. पुष्य नक्षत्र १४ रातदिन परिसमाप्त करता है, अश्लेषा नक्षत्र १५ रातदिन परिसमाप्त करता है तथा मघा नक्षत्र १ रातदिन परिसमाप्त करता है। (१४+१५+१=३० दिनरात = १ मास)। उस मास में सूर्य २० अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है। उस महीने के अन्तिम दिन आठ अंगुल अधिक तीन पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है। भगवन् ! हेमन्तकाल के चौथे-फाल्गुन मास को कितने नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं ? गौतम ! उसे तीन नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं-१. माघ, २. पूर्वाफाल्गुनी तथा ३. उत्तराफाल्गुनी। मघा नक्षत्र १४ रातदिन, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र १५ रातदिन तथा उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र १ रातदिन परिसमाप्त करता है। (१४+१५+१=३० दिनरात = १ मास)।

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