Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 469
________________ ४०६ ] महिड्डिआ सूरेहिंतो चंदा महिड्डिआ । सव्वपिड्डिआ तारारूवा सव्वमहिड्डिआ चंदा । [२०२] गौतम ! इन चन्द्रों, सूर्यों, ग्रहों, नक्षत्रों तथा तारों में कौन सर्वमहर्द्धिक हैं - सबसे अधिक ऋद्धिशाली हैं ? कौन सबसे अल्प-कम ऋद्धिशाली हैं ? [जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र गौतम ! तारों से नक्षत्र अधिक ऋद्धिशाली हैं, नक्षत्रों से ग्रह अधिक ऋद्धिशाली हैं, ग्रहों से सूर्य अधिक ऋद्धिशाली हैं तथा सूर्यों से चन्द्र अधिक ऋद्धिशाली हैं ? तारे सबसे कम ऋद्धिशाली तथा चन्द्र सबसे अधिक ऋद्धिशाली हैं। एक तारे से दूसरे तारे का अन्तर २०३. जम्बुद्दीवे णं भंते ! दीवे ताराए अ ताराए अ केवइए अबाहाए अंतरे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे - वाघाइए अ निव्वाघाइए अ । निव्वाघाइए जहण्णेणं पंचधणुसयाई उक्कोसेणं दो गाऊआई। वाघाइए जहण्णेणं दोणि छावट्ठे जोअणसए, उक्कोसेणं बारस जोअणसहस्साइं दोण्णि अ बायाले जोअणसए तारारूवस्स २ अबाहाए अंतरे पण्णत्ते । [२०३] भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत एक तारे से दूसरे तारे का कितना अन्तर- फासला बतलाया गया है ? गौतम ! अन्तर दो प्रकार का है - १. व्याघातिक - जहाँ बीच में पर्वत आदि रूप में व्याघात हो । २. निर्व्याघातिक - जहाँ बीच में कोई व्याघात न हो। एक तारे से दूसरे का निर्व्याघातिक अन्तर जघन्य ५०० धनुष तथा उत्कृष्ट २ गव्यूत बतलाया गया है। एक तारे से दूसरे तारे का व्याघातिक अन्तर जघन्य २६६ योजन तथा उत्कृष्ट १२२४२ योजन बतलाया गया है। ज्योतिष्क देवों की अग्रमहिषियाँ २०४. चन्दस्स णं भंते ! जोइसिंदस्स जोइसरण्णो कइ अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ तं जहा - चन्दप्पभा, दोसिणाभा, अच्चिमाली, पभंकरा । तओ णं एगमेगाए देवीए चत्तारि २ देवीसहस्साइं परिवारो पण्णत्तो । पभू णं ताओ एगमेगा देवी अन्नं देवीसहस्सं विउव्वित्तए, एवामेव सपुव्ववरेणं सोलस देवीसहस्सा, सेत्तं तुडिए । पहू णं भंते ! चंदे जोइसिंदे जोइसराया चंदवडेंस विमाणे चन्दाए रायहाणीए सभाए सुहम्माएं तुडिएणं सद्धिं महयाहयणट्टगीअवाइअ जाव' दिव्वाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरित्तए ?

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