Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 445
________________ [जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र प्रकार की सुनिर्मित तश्तरी के समान, १६. अश्लेषा नक्षत्र का ध्वजा के सदृश, १७. मघा नक्षत्र का प्राकारप्राचीर या परकोटे के सदृश, १८. पूर्वफाल्गुनी नक्षत्र का आधे पलंग के समान, १९. उत्तरफाल्गुनी नक्षत्र का भी आधे पलंग के सदृश, २०. हस्त नक्षत्र का हाथ के समान, २१. चित्रा नक्षत्र का मुख पर सुशोभित पीली जूही के पुष्प के सदृश, २२. स्वाति नक्षत्र का कीलक के तुल्य, २३. विशाखा नक्षत्र का दामनिपशुओं को बाँधने की रस्सी के सदृश, २४. अनुराधा नक्षत्र का एकावली -इकलड़े हार के समान, २५. ज्येष्ठा नक्षत्र का हाथी-दाँत के समान, २६. मूल नक्षत्र का बिच्छू की पूँछ के सदृश, २७. पूर्वाषाढा नक्षत्र का हाथी के पैर के सदृश तथा २८. उत्तराषाढा नक्षत्र का बैठे हुए सिंह के सदृस संस्थान - आकार बतलाया गया है। नक्षत्रचन्द्रसूर्ययोग काल १९३. एतेसि णं भंते ! अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिई णक्खत्ते कतिमुहुत्ते चन्देण सद्धिं जोगं जोइ ? ३८२ ] गोमा ! णव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभाए मुहुत्तस्स चन्देण सद्धिं जोगं जोएइ । एवं इमाहिं गाहाहिं अणुगन्तव्वं अभिइस्स चन्द - जोगो, सत्तहिं खंडिओ अहोरत्तो । ते हुंति णवमुहुत्ता, सत्तावीसं फलाओ अ ॥ १ ॥ सयभिसया भगणीओ, अद्दा अस्सेस साइ जेट्ठा य । छण्णक्खत्ता, पण्णरस- मुहुत्त - संजोगा ॥ २ ॥ तिण्णेव उत्तराई, पुणव्वसू रोहिणी विसाहा य । एए छण्णक्खत्ता, पणयाल- मुहुत्त - संजोगा ॥ ३ ॥ अवसेसा णक्खत्ता, पण्णरस वि हुंति तीसइमुहुत्ता । चन्दंमि एस जोगो, णक्खत्ताणं मुणेअव्वो ॥ ४ ॥ एतेसि णं भंते ! अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिई णक्खत्ते कतिअहोरत्ते सूरेण सद्धिं जोगं जोएइ । गोयमा ! चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोगं जोएइ, एवं इमाहिं गाहाहिं अव्वं अभिई छच्च मुहुत्ते, चत्तारि अ केवले अहोरत्ते । सूरेण समं गच्छइ, एत्तो सेसाण वोच्छामि ॥ १ ॥ सयभिसया भरणीओ, अद्दा, अस्सेस साइ जेट्ठा य वच्चंति मुहुत्ते, इक्कवीस छच्चेवऽहोरत्ते ॥ २ ॥ तिण्णेव उत्तराई, पुणव्वसू रोहिणी विसाहा य वच्छंति मुहुत्ते, तिण्णि चेव वीसं अहोरत्ते ॥ ३ ॥

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