Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 453
________________ ३९० ] [जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र माघी, फाल्गुनी तथा आषाढी अमावस्या के साथ कुल, उपकुल, एवं कुलोपकुल का योग होता है, बाकी की अमावस्याओं के साथ कुल एवं उपकुल का योग होता है। भगवन् ! क्या जब श्रवण नक्षत्र से युक्त पूर्णिमा होती है, तब क्या तत्पूर्ववर्तिनी अमावस्या मघा नक्षत्रयुक्त होती है ? भगवन् ! जब पूर्णिमा मघा नक्षत्रयुक्त होती है तब क्या तत्पश्चाद्भाविनी अमावस्या श्रवण नक्षत्र युक्त होती है ? गौतम ! ऐसा ही होता है। जब पूर्णिमा श्रवण नक्षत्रयुक्त होती है तो उससे पूर्व अमावस्या मघा नक्षत्रयुक्त होती है। ___ जब पूर्णिमा मघा नक्षत्रयुक्त होती है तो उसके पश्चात् आनेवाली अमावस्या श्रवण नक्षत्रयुक्त होती है। भगवन् ! जब पूर्णिमा उत्तरभाद्रपदा नक्षत्रयुक्त होती है, तब क्या तत्पश्चाद्भाविनी अमावस्या उत्तरफाल्गुनी नक्षत्र युक्त होती है ? जब पूर्णिमा उत्तरफाल्गुनी नक्षत्रयुक्त होती है, तब क्या अमावस्या उत्तरभाद्रपदा नक्षत्र युक्त होती हाँ, गौतम ! ऐसा ही होता है। इस अभिलाप-कथन-पद्धति के अनुरूप पूर्णिमाओं तथा अमावस्याओं की संगति निम्नांकित रूप में जाननी चाहिए जब पूर्णिमा अश्विनी नक्षत्रयुक्त होती है, तब पश्चाद्वर्तिनी अमावस्या चित्रा नक्षत्रयुक्त होती है। जब पूर्णिमा चित्र नक्षत्रयुक्त होती हैं, तो अमावस्या अश्विनी नक्षत्रयुक्त होती है। जब पूर्णिमा कृत्तिका नक्षत्रयुक्त होती है, तब अमावस्या विशाखा नक्षत्रयुक्त होती है। जब पूर्णिमा विशाखा नक्षत्रयुक्त होती है, तब अमावस्या कृत्तिका नक्षत्रयुक्त होती है। जब पूर्णिमा मृगशिर नक्षत्रयुक्त होती है, तब अमावस्या ज्येष्ठामूल नक्षत्रयुक्त होती है। जब पूर्णिमा ज्येष्ठामूल नक्षत्रयुक्त होती है, तब अमावस्या मृगशिर नक्षत्रयुक्त होती है। जब पूर्णिमा पुष्य नक्षत्रयुक्त होती है, तब अमावस्या पूर्वाषाढा नक्षत्रयुक्त होती है। जब पूर्णिमा पूर्वाषाढा नक्षत्रयुक्त होती है, तब अमावस्या पुष्य नक्षत्रयुक्त होती है। मास-समापक नक्षत्र १९५. वासाणं पढमं मासं कति णक्खत्ता णेति ? गोयमा ! चत्तारि णक्खत्ता णेति, तं जहा-उत्तरासाढा, अभिई, सवणो, धणिट्ठा।

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