Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 441
________________ ३७८ ] [जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र करे णक्खत्ता जेणं दाहिणेणवि उत्तरेणवि पमद्दपि जोअं जोएंति ? करे णक्खत्ता जेणं सया चंदस्स पमद्दं जोअं जोएंति ? गोयमा ! एतेसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं सया चंदस्स दाहिणेणं जोअं जोएंति ते णं छ. तं जहा मिसिरं १ अद्द २ पुस्सी ३ सिलेस ४ हत्थो ५ तहेव मूली अ ६ । बाहिरओ बाहिरमंडलस्स छप्पेते णक्खत्ता ॥ १ ॥ तत्थ णं जे ते णक्खत्ता जे णं सया चंदस्स उत्तरेणं जोगं जोएंति ते णं बारस, तं जहाअभिई, सवण, धणिट्ठा, सयभिसया, पुव्वभद्दवया, उत्तरभद्दवया, रेवई, अस्सिणी, भरणी, पुव्वाफग्गुणी, उत्तराफग्गुणी साई । तत्थ णं जे ते नक्खत्ता जे णं सया चंदस्स दाहिणओवि उत्तरओवि पमद्दपि जोगं जोएंति ते णं सत्त, तं जहा - कत्तिआ, रोहिणी, पुणव्वसू, मघा, चित्ता, विसाहा, अणुराहा । तत्थ णं जे ते णक्खत्ता जे णं सया चंदस्स दाहिणओवि पमद्दपि जोगं जोएंति, ताओ णं दुवे आसाढाओ। सव्वबाहिरए मंडले जोगं जोअंसु वा ३ । तत्थ णं जे से णक्खत्ते जे णं सया चंदस्स पमद्दं जोएइ, सा णं एगा जेट्ठा इति । 'दक्षिण में- दक्षिण [१८९] भगवन् ! इन अट्ठाईस नक्षत्रों में कितने नक्षत्र ऐसे हैं, जो सदा चन्द्र दिशा में अवस्थित होते हुए योग करते हैं - चन्द्रमा के साथ सम्बन्ध करते हैं ? कितने नक्षत्र ऐसे हैं, जो सदा चन्द्रमा के उत्तर में अवस्थित होते हुए योग करते हैं ? कितने नक्षत्र ऐसे हैं, जो चन्द्रमा के दक्षिण में भी, उत्तर में भी, नक्षत्र - विमानों को चीरकर भी योग करते हैं। हैं— कितने नक्षत्र ऐसे हैं, जो चन्द्रमा के दक्षिण में भी नक्षत्र - विमानों को चीरकर भी योग करते हैं । कितने नक्षत्र ऐसे हैं, जो सदा नक्षत्र - विमानों को चीरकर भी चन्द्रमा से योग करते हैं । गौतम ! इन अट्ठाईस नक्षत्रों में जो नक्षत्र सदा चन्द्र के दक्षिण में अवस्थित होते हुए योग करते हैं, वे छह हैं - १. मृगशिर, २. आर्द्रा, ३. पुष्य, ४. अश्लेषा, ५. हस्त तथा ६. मूल । ये छहों नक्षत्र चन्द्रसम्बन्धी पन्द्रह मण्डलों के बाहर से ही योग करते हैं । अट्ठाईस नक्षत्रों में जो नक्षत्र सदा चन्द्रमा के उत्तर में अवस्थित होते हुए योग करते हैं, वे बारह १. अभिजित, २. श्रवण, ३. धनिष्ठा, ४. शतभिषक्, ५. पूर्वभाद्रपदा, ६. उत्तरभाद्रपदा, ७. रेवती, ८. अश्विनी, ९. भरणी, १०. पूर्वाफाल्गुनी, ११. उत्तराफाल्गुनी तथा १२. स्वाति । अट्ठाईस नक्षत्रों में जो नक्षत्र सदा चन्द्रमा के दक्षिण में भी, उत्तर में भी, नक्षत्र - विमानों को चीरकर

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