Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 438
________________ सप्तम वक्षस्कार] [३७५ दिवा गरादि करणं राओ वणिज्जं, पुण्णिमाए दिवा विट्ठीकरणं राओ बवं करणं भवइ। बहुलपक्खस्स पडिवाए दिवा बालवं राओ कोलवं, बितीआए दिवा थीविलोअणं राओ गरादि, ततिआए दिवा वणिजं राओ विट्ठी, चउत्थीए दिवा बवं राओ बालवं, पंचमीए दिवा कोलवं राओ थीविलोअणं, छट्ठीए दिवा गराई राओ वणिज्जं, सत्तमीए दिवा विट्ठी राओ बवं, अट्ठमीए दिवा बालवंराओ कोलवंणवमीए दिवा थीविलोअणंराओ गराइं, दसमीए दिवा वणिज्जं राओ विट्ठी, एक्कारसीए दिवा बवं राओ बालवं, बारसीए दिवा कोलवं राओ थीविलोअणं तेरसीए दिवा गराइं राओ वणिज्जं, चउद्दसीए दिवा विट्ठी राओ सउणी, अमावसाए दिवा चउप्पयं राओ णागं। सुक्खपक्खस्स पाडिवए दिवा किंत्थुग्यं करणं भवइ। [१८६] भगवन् ! करण कितने बतलाये गये हैं ? गौतम ! ग्यारह करण बतलाये गये हैं, जैसे-१. बव, २. बालव, ३. कौलव, ४. स्त्रीविलोचनतैतिल,, ५. गरादि-गर, ६. वणिज, ७. विष्टि, ८. शकुनि, ९. चतुष्पद, १०. नाग तथा ११. किंस्तुघ्र। भगवन् ! इन ग्यारह करणों में कितने करण चर तथा कितने स्थिर बतलाये गये हैं। गौतम ! इनमें सात करण चर तथा चार करण स्थिर बतलाये गये हैं। बव, बालव, कौलव, स्त्रीविलोचन, गरादि, वणिज तथा विष्टि-ये सात करण चर बतलाये गये हैं एवं शकुनि, चतुष्पद, नाग और किंस्तुघ्न-ये चार करण स्थिर बतलाये गये हैं। भगवन् ! ये चर तथा स्थिर कब होते हैं ? गौतम ! शुक्ल पक्ष की एकम की रात में, एकम के दिन में बवकरण होता है। दूज को दिन में बालवकरण होता है, रात में कौलवकरण होता है। तीज को दिन में स्त्रीविलोचन करण होता है, रात में गरादिकरण होता है। चौथ को दिन में वणिजकरण होता है, रात में विष्टिकरण होता है। पाँचम को दिन में बवकरण होता है, रात में बालवकरण होता है। छठ को दिन में कौलवकरण होता है, रात में स्त्रीविलोचनकरण होता है। सप्तम को दिन में गरादिकरण होता है, रात में वणिज़करण होता है। आठम को दिन में विष्टिकरण होता है, रात में बवकरण होता है। नवम को दिन में बालवकरण होता है, रात में कौलवकरण होता है । दसम को दिन में स्त्रीविलोचन करण होता है, रात में गरादिकरण होता है। ग्यारस को दिन में वणिजकरण होता है, रात में विष्टिकरण होता है। बारस को दिन में बवकरण होता है, रात में बालवकरण होता है। तेरस को दिन में कौलवकरण होता है, रात में स्त्रीविलोचन करण होता है। चौदस को दिन में गरादिकरण होता है, रात में वणिजकरण होता है। पूनम को दिन में विष्टिकरण होता है, रात में बवकरण होता है। कृष्ण पक्ष की एकम को दिन में बालवकरण होता है, रात में कौलवकरण होता है। दूज को दिन में स्त्रीविलोचनकरण होता है, रात में गरादिकरण होता है। तीज को दिन में वणिजकरण होता है। रात में

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