Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 422
________________ सप्तम वक्षस्कार] [३५९ चन्द्रमण्डलों का विस्तार १८०. सव्वब्भंतरेणं भंते ! चंदमंडले केवइअंआयामविक्खम्भेणं, केवइअंपरिक्खेवेणं पण्णत्ते ? गोयमा !णवणउइं जोअणसहस्साइंछच्चचत्ताले जोअणसए आयामविक्खम्भेणं,तिण्णि अजोअणसयसहस्साइं पण्णरस जोअणसहस्साइं अउणाणउतिं च जोअणाइं किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं पण्णत्ते। अब्भन्तराणंतरे सा चेव पुच्छा। गोयमा ! णवणउइंजोअणसहस्साइं सत्त य बारसुत्तरे जोअणसए एगावण्णंच एगसट्ठिभागे जोअणस्स एगसट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता एगं चुण्णिआभागं आयामविक्खम्भेणं, तिण्णि अ जोअणसयसहस्साइं पन्नरससहस्साइं तिण्णि अ एगूणवीसे जोअणसए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं। • अब्भन्तरतच्चे णं ( चन्दमण्डले केवइअं आयामविक्खम्भेणं केवइअं परिक्खेवेणं) पण्णत्ते। गोयमा ! णवणउइं जोअणसहस्साइं सत्त य पञ्चासीए जोअणसए इगतालीसंच एगसद्विभाए जोअणस्स एगसट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता दोण्णि अचुण्णिआभाए आयामविक्खम्भेणं, तिण्णि अ जोअणसयसहस्साइं पण्णरस जोअणसहस्साइं पंच य इगुणापण्णे जोअणसए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणंति। ___ एवं खलु एएणं उवाएणं णिक्खममाणे चंदे (तयाणन्तराओ मंडलाओ तयाणंतरं मंडलं) संकममाणे २ बावत्तरि २ जोअणाइंएगावण्णं च एगसट्ठिभाए जोअणस्स एगसट्ठिभागंच सत्तहा छेत्ता एगंच चुण्णिआभागं एगमेगे मंडले विक्खम्भवुद्धिं अभिवद्रमाणे २ दो दो तीसाइंजोअणसयाई परिरयवुद्धिं अभिवद्धेमाणे २ सव्वबाहिरं मण्डलं उवसंकमित्ता चारं चरइ। सव्वबाहिरए णं भंते ! चन्दमण्डले केवइअं आयामविक्खम्भेणं, केवइअं परिक्खेवेणं पण्णत्ते ? गोयमा ! एगं जोअणसयसहस्सं छच्च सटे जोअणसए आयामविकम्भेणं, तिण्णि अ जोअणसयसहस्साइं अट्ठारस सहस्साई तिण्णि अ पण्णरसुत्तरे जोअणसए परिक्खेवेणं। बाहिराणन्तरे णं पुच्छा। ___ गोयमा ! एगंजोअणसयसहस्सं पञ्च सत्तासीए जोअणसए णव य एगसट्ठिभाए जोअणस्स एगसट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता छ चुण्णिआभाए आयामविक्खम्भेणं,तिण्णिअजोअणसयसहस्साइं अट्ठारस सहस्साइं पंचासीइंच जोअणाइं परिक्खेवेणं।

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