Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 425
________________ ३६२] [जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र अभिवद्धेमाणे २ सव्वबाहिरं मण्डलं उवसंकमित्ता चारं चरइ। जया णं भंते ! चन्दे सव्वबाहिरं मण्डलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तयाणं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइअं खेत्तं गच्छइ ? गोयमा ! पंच जोअणसहस्साइं एगं च पणवीसं जोअणसयं अउणत्तरिंचे णउए भागसए गच्छइ मण्डलं तेरसहिं भागसहस्सेहिं सत्तहि अ (पणवीसेहिं सएहिं) छेत्ता इति। तयाणंइहगयस्स मणूसस्स एक्कतीसाए जोअणसहस्सेहिं अट्ठहि अएगत्तीसेहिंजोअणसएहिं चन्दे चक्खुप्फासं हव्वामागच्छइ। जया णं भंते ! बाहिराणन्तरं पुच्छा ? गोयमा ! पंच जोअणसहस्साई एक्कं च एक्कवीसंजोअणसयं एक्कारसय सटे भागसहस्से गच्छइ मण्डलं तेरसहिं जाव ' छेत्ता। जया णं भंते ! बाहिरतच्चं पुच्छा ? गोयमा ! पंच जोअणसहस्साइं एगं च अट्ठारसुत्तरं जोअणसयं चोद्दस य पंचत्तुरे भागसए गच्छइ मण्डलं तेरसहिं सहस्सेहिं सत्तहिं पणवीसेहिं सएहिं छेत्ता। एवंखलु एएणंउवाएणं(णिक्खममाणे चन्दे तयाणन्तराओमण्डलाओ तयाणन्तरंमण्डलं) संकममाणे २ तिण्णि २ जोअणाई छण्णउतिं च पंचावण्णे भागसए एगमेगे मण्डले मुहत्तगई णिवुद्धेमाणे २ सव्वब्भंतरं मण्डलं उवसंकमित्ता चारं चरइ। [१८१] भगवन् ! जब चन्द्र सर्वाभ्यन्तर मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है, तब वह प्रतिमुहूर्त कितना क्षेत्र पार करता है ? ___गौतम ! वह प्रतिमुहूर्त ५०७३७०४४ योजन क्षेत्र पार करता है। तब वह (चन्द्र) यहाँ-भरतार्ध क्षेत्र में स्थित मनुष्यों को ४७२६३२१४ , योजन की दूरी से दृष्टिगोचर होता है। भगवन् ! जब चन्द्र दूसरे आभ्यन्तर मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है, तब (प्रतिमुहूर्त) कितना क्षेत्र पार करता है ? गौतम ! तब वह प्रतिमुहूर्त ५०७७२६७४/ योजन क्षेत्र पार करता है। भगवन् ! जब चन्द्र तीसरे आभ्यन्तर मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है, तब वह प्रतिमुहूर्त कितना क्षेत्र पार करता है ? __गौतम ! तब वह प्रतिमुहूर्त ५०८०१३३२९/, योजन क्षेत्र पार करता है। १३७२५ १. देखें सूत्र यही

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