Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 426
________________ सप्तम वक्षस्कार] [३६३ १३७२५ १३७२५ इस क्रम से निष्क्रमण करता हुआ चन्द्र (पूर्व मण्डल से उत्तर मण्डल का संक्रमण करता हुआ) प्रत्येक मण्डल पर ३९६५५, ... मुहूर्त गति बढ़ाता हुआ सर्वबाह्य मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है। भगवन् ! जब चन्द्र सर्वबाह्य मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है, तब वह प्रतिमुहूर्त कितना क्षेत्र पार करता है ? गौतम ! वह प्रतिमुहूर्त ५१२५६९९०/, योजन क्षेत्र पार करता है। तब यहाँ स्थित मनुष्यों को वह (चन्द्र) ३१८३१ योजन की दूरी से दृष्टिगोचर होता है। भगवन् ! जब चन्द्र दूसरे बाह्य मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है, तब वह प्रतिमुहूर्त कितना क्षेत्र पार करता है ? गौतम ! वह प्रतिमुहूर्त ५१२१११६०/, योजन क्षेत्र पार करता है। भगवन् ! जब चन्द्र तीसरे बाह्य मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है, तब वह प्रतिमुहूर्त कितना क्षेत्र पार करता है ? . ' गौतम ! तब वह प्रतिमुहूर्त ५११८१४०५/...योजन क्षेत्र पार करता है। इस क्रम से (निष्क्रमण करता हुआ, पूर्व मण्डल से उत्तर मण्डल पर) संक्रमण करता हुआ चन्द्र एक-एक मण्डल पर ३९६५५/, योजन मुहूर्त गति कम करता हुआ सर्वाभ्यन्तर मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है। नक्षत्र-मण्डलादि १८२. कइ णं भंते ! णक्खत्तमण्डला पण्णत्ता? गोयमा ! अट्ठ णक्खत्तमण्डला पण्णत्ता। जम्बुद्दीवे दीवे केवइअं ओगाहित्ता केवइआ णक्खत्तमण्डला पण्णत्ता ? गोयमा !जम्बुद्दीवेदीवेअसीअंजोअणसयंओगाहेत्ता एत्थणंदोणक्खत्तमण्डला पण्णत्ता। लवणे णं समुद्दे केवइअं ओगाहेत्ता केवइआ णक्खत्तमण्डला पण्णत्ता? गोयमा ! लवणे णं समुद्दे तिण्णि तीसे जोअणसए ओगाहित्ता एत्थणं छ णक्खत्तमण्डला पण्णत्ता। एवामेव सपुव्वावरेण जम्बुद्दीवे दीवेलवणसमुद्दे अट्टणक्खत्तमण्डला भवंतीतिमक्खायमिति। सव्वब्भंतराओ णं भंते ! णक्खत्तमण्डलाओ केवइआए अबाहाए सव्वबाहिराए णक्खत्तमण्डले पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचदसुत्तरे जोअणसए अबाहाए सव्वबाहिरए णक्खत्तमण्डले पण्णत्ते इति । णक्खत्तमण्डलस्स णं भंते ! णक्खत्तमण्डलस्स य एस णं केवइआए अबाहाप अंतरे पण्णत्ता? १३७२५

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