Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text
________________
चतुर्थ वक्षस्कार]
[२६३
सीओआए पच्चत्थिमेणं, एअस्सवि अंजणगिरी देवो, रायहाणी दाहिणपच्चत्थिमेणं ४।
एवं कुमुदे विदिसाहत्थिकूडे मन्दरस्स दाहिणपच्चत्थिमेणं० पच्चथिमिल्लाए सीओआए दक्खिणेणं, एअस्सवि कुमुदो देवो रायहाणी दाहिणपच्चत्थिमेणं ५।
___ एवं पलासे विदिसाहत्थिकूडे मन्दरस्स उत्तरपच्चथिमिल्लाए सीओआए उत्तरेणं, एअस्सवि पलासो देवो, रायहाणी उत्तरपच्चत्थिमेणं ६।।
___ एवं वडेंसे विदिसाहत्थिकूडे मन्दरस्स उत्तरपच्चत्थिमेणं उत्तरिल्लाए सीआए महाणईए पच्चत्थिमेणं। एअस्सवि वडेंसो देवो, रायहाणी उत्तरपच्चत्थिमेणं।
एवं रोअणागिरी दिसाहत्थिकूडे मंदरस्स उत्तरपुरस्थिमेणं, उत्तरिल्लाए सीआए पुरस्थिमेणं। एयस्सवि रोअणगिरी देवो, रायहाणी उत्तरपुरथिमेणं।
[१३२] भगवन् ! जम्बुद्वीप के अन्तर्गत महाविदेह क्षेत्र में मन्दर नामक पर्वत कहाँ बतलाया गया
गौतम ! उत्तरकुरु के दक्षिण में, देवकुरु के उत्तर में, पूर्व बिदेह के पश्चिम में और पश्चिम विदेह के पूर्व में जम्बूद्वीप के अन्तर्गत उसके बीचोंबीच मन्दर नामक पर्वत बतलाया गया है। वह ९९००० योजन ऊँचा है, १००० योजन जमीन में गहरा है। वह मूल में १००९०१०). योजन तथा भूमितल पर १०००० योजन चौड़ा है। उसके बाद वह चौड़ाई की मात्रा में क्रमशः घटता-घटता ऊपर के तल पर १००० योजन चौड़ा रह जाता है। उसकी परिधि मूल में ३१९१०२/, योजन, भूमितल पर ३१६२३ योजन तथा ऊपरी तल पर कुछ अधिक ३१६२ योजन है। वह मूल में विस्तीर्ण-चौड़ा, मध्य में संक्षिप्त-संकड़ा तथा ऊपर तनुकपतला है। उसका आकार गाय की पूँछ के आकार जैसा है। वह सर्वरत्नमय है, स्वच्छ है, सुकोमल है। वह एक पद्मवरवेदिका द्वारा एक वनखण्ड द्वारा चारों ओर से घिरा हुआ है। उसका विस्तृत वर्णन पूर्वानुरूप
भगवन् ! मन्दर पर्वत पर कितने वन बतलाये गये हैं ?
गौतम ! वहाँ चार वन बतलाये गये हैं-१. भद्रशालवन, २. नन्दनवन, ३. सौमनसवन तथा ४. पंडकवन।
गौतम ! मन्दर पर्वत पर भद्रशालवन नामक वन कहाँ बतलाया गया है ?
गौतम ! मन्दर पर्वत पर उसके भूमिभाग पर भद्रशाल नामक वन बतलाया गया है। वह पूर्व-पश्चिम लम्बा एवं उत्तर-दक्षिण चौड़ा है। वह सौमनस, विद्युत्प्रभ, गन्दमादन तथा माल्यवान् नामक वक्षस्कार पर्वतों द्वारा शीता तथा शीतोदा नामक महानदियों द्वारा आठ भागों में विभक्त है। वह मन्दर पर्वत के पूर्व-पश्चिम बाईस-बाईस हजार योजन लम्बा है, उत्तर-दक्षिण अढ़ाई सौ-अढ़ाई सौ योजन चौड़ा है। वह एक पद्मवरवेदिका द्वारा तथा एक वन-खण्ड द्वारा चारों ओर से घिरा हुआ है। दोनों का वर्णन पूर्ववत् है। वह काले, नीले