Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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पञ्चम वक्षस्कार ]
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होते हैं, जिनमें बहुमूल्य औषधियां पड़ी होती हैं। शान्तिचन्द्रीया वृत्ति में किये गये संकेत के अनुसार शतपाक तैल वह है, जिनमें सौ प्रकार के द्रव्य पड़े हों, जो सौ दफा पकाया गया हो, अथवा जिसका मूल्य सौ कार्षापण हो। उसी प्रकार सहस्रपाक तैल वह है, जिनमें हजार प्रकार के द्रव्य पड़े हों, जो हजार बार पकाया गया हो, अथवा जिसका मूल्य हजार कार्षापण हो । उपासकदशांगवृत्ति में आचार्य अभयदेवसूरि ने भी ऐसा ही उल्लेख किया है ।
कार्षापण प्राचीन भारत में प्रयुक्त एक सिक्का था । वह स्वर्ण, रजत तथा ताम्र अलग-अलग तीन प्रकार का होता था । प्रयुक्त धातु के अनुसार वह स्वर्णकार्षापण, रजतकार्षापण तथा ताम्रकार्षापण कहा जाता था । स्वर्णकार्षापण का वजन १६ मासे, रजतकार्षापण का वजन १६ पण ( तोल - विशेष) तथा ताम्रकार्षापण क वजन ८० रत्ती होता था ।
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शक्रेन्द्र द्वारा जन्मोत्सवार्थ तैयारी
१४८. तेणं कालेणं तेणं समएणं सक्के णामं देविंदे, देवराया, वज्जपाणी, पुरंदरे, सयककऊ, सहस्सक्खे, मघवं पागसासणे, दाहिणद्ध-लोगाहिवई, बत्तीसविमाणावाससय- सहस्साहिवई, एरावणवाहणे, सुरिंदे, अरयंबरवत्थधरे, आलइयमालमउडे, नवहेमचारुचित्तचंचलकुण्डलविलिहिज्जमाणगंडे, भासुरबोदी, पलम्ब - वणमाले, महड्डिए, महज्जुईए, महाबले, महायसे महाणुभागे, महासोक्खे, सोहम्मे कप्पे, सोहम्मवडिंसए विमाणे, सभाए सुहम्माए, सक्कंसि सीहासांसि सेणं तत्थ बत्तीसार विमाणावाससयसाहस्सीणं, चउरासीए सामाणिअसाहस्सीणं तायत्तीसाए तायत्तीसगाणं चउण्हं लोगपालाणं, अट्ठण्हं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं, तिण्हं परिसाणं, सत्तण्हं अणिआणं, सत्तण्हं अणिआहिवईणं, चउण्हं चउरासीणं आयरक्खदेवसाहस्सीणं, अन्नेसिं च बहूणं सोहम्मकप्पवासीणं वेमाणियाणं देवाण य देवीण य आहेवच्चं, पोरेवच्चं, सामित्तं, भट्टित्तं, महत्तरगत्तं, आणाईसरसेणावच्चं कारेमाणे पालेमाणे महयाहयणट्टगीयवाइयतंतीतलतालतुडिअघणमुइंगपडुपडहवाइअरवेणं दिव्वाइं भोगभोगाई भुंजमाणे विहर ।
तणं तस्स सक्क्स्स देविंदस्स देवरण्णो आसणं चलइ। तए णं से सक्के (देविंदे देवराया) आसणं चलिअं पासइ २ त्ता ओहिं पउंजइ, पउंजित्ता, भगवं तित्थयरं ओहिणा आभोएइ २त्ता
चित्ते आनंदिए पीइमणे, परमसोमणस्सिए, हरिसवसविसप्पमाणहिअए, धाराहयकयंबकुसुमचंचुमालइअऊसविअरोमकूवे, विअसिअवरकमलनयणवयणे, पचलिअवरकड - तुडिअकेऊरमउडे, कुण्डलहारविरायंतवच्छे, पालम्बपलम्बमाणघोलंतभूसणधरे ससंभमं तुरिअं चवलं सुरिंदे सीहासणाओ अब्भुट्ठेइ, २त्ता पायपीढाओ पच्चोरुहइ २त्ता वेरुलिअ-वरिट्ठरिट्ठअंजणनिउणोविअमिसिमिसिंतमणिरयणमंडिआओ पाउआओ ओमुअइ २त्ता एगसाडिअं उत्तरासंगं करेइ २त्ता अंजलिमउलियग्गहत्थे तित्थयराभिमुहे सत्तट्ठ पयाइं अणुगच्छइ २त्ता वामं
१. संस्कृत-इंगलिश डिक्शनरी - सर मोनियर विलियम्स, पृष्ठ १७६