Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 400
________________ सप्तम वक्षस्कार ] [३३७ भगवन् ! जम्बुद्वीप-स्थित मन्दर पर्वत के सर्वबाह्य सूर्य मण्डल से दूसरा बाह्य सूर्य-मण्डल कितनी दूरी पर बतालाय गया है ? गौतम ! सर्वबाह्य सूर्य-मण्डल से दूसरा बाह्य सूर्य-मण्डल ४५३२७१३ / योजन की दूरी पर बतलाया ६१ गया है । भगवन् ! जम्बुद्वीप-स्थित मन्दर पर्वत के सर्वबाह्य सूर्य - मण्डल से तीसरा बाह्य सूर्य-मण्डल कितनी दूरी पर बतालाय गया है ? गौतम ! सर्वबाह्य सूर्य-मण्डल से तीसरा बाह्य सूर्य - मण्डल ४५३२४२६ / योजन की दूरी पर बतलाया ६१ गया है। इस प्रकार अहोरात्र -मण्डल में परित्यागरूप क्रम से जम्बूद्वीप में प्रविष्ट होता हुआ सूर्य तदनन्तर मण्डल से तदनन्तर मण्डल पर संक्रमण करता हुआ - पूर्व मण्डल से उत्तर मण्डल पर जाता हुआ, एकएक मण्डल पर २४८६१ योजन की अन्तर वृद्धि कम करता हुआ सर्वाभ्यन्तर- मण्डप पर पहुँच कर गति करता है - आगे बढ़ता है । सूर्यमण्डल का आयाम - विस्तार आदि १६५. जंबुद्दीवे दीवे सव्वब्धंतरे णं भंते ! सूरमंडले केवइअं आयामविक्खंभेणं केवइअं परिक्खेवेणं पण्णत्ते ? गोयमा ! णवणउ जोअणसहस्साइं छच्च चत्ताले जोअणसए आयामविक्खंभेणं तिण्णि य जोअणसयसहस्साइं पण्णरस य जोअणसहस्साइं एगूणणउई च जोअणाई किंचिविसेसाहिआई परिक्खेवेणं । अब्भंतराणंतरे णं भंते ! सूरमंडले केवइअं आयामविक्खंभेणं केवइअं परिक्खेवेणं पण्णत्ते ? गोमा ! णवणउ जोअणसहस्साइं छच्च पणयाले जोअणसए पणतीसं च एगसट्टिभाए जोअणस्स आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोअणसयसहस्साइं पण्णरस य जोअण- सहस्साइं एगं सत्तुत्तरं जोअणसयं परिक्खेवेणं पण्णत्ते । अब्भंतरतच्चे णं भंते ! सूरमंडले केवइअं आयामविक्खंभेणं केवइअं परिक्खेवेणं पण्णत्ते ? गोयमा ! णवणउई जोअणसहस्साइं छच्च एकावण्णे जोअणसए णव य एगसट्ठिभाए जोअणस्स आयामविक्खंभेणं तिण्णि अ जोअणसयसहस्साइं पण्णरस जोअणसहस्साइं एगं च पणवीसं जोअणसयं परिक्खेवेणं । एवं खलु एतेणं उवाएणं विक्खममाणे सूरिए तयाणंतराओ मंडलाओ तयाणंतरं मंडलं उवसंकममाणे २ पंच २ जोअणाई पणतीसं च एगसट्टिभाए जोअणस्स एगमेगे मंडले

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