Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 402
________________ सप्तम वक्षस्कार] [३३९ भगवन् ! सर्वबाह्य सूर्य-मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई तथा परिधि कितनी बतलाई गई है ? गौतम ! सर्वबाह्य सूर्य-मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई १००६६० योजन तथा परिधि ३१८३१५ योजन बतलाई गई है। भगवन् ! द्वितीय बाह्य सूर्य-मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई तथा परिधि कितनी बतलाई गई है ? गौतम ! द्वितीय बाह्य सूर्य-मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई १००६५४२६/ योजन तथा परिधि ३१८२९७ योजन बतलाई गई है। भगवन् ! तृतीय बाह्य सूर्य-मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई तथा परिधि कितनी बतलाई गई है ? गौतम ! तृतीय बाह्य सूर्य-मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई १००६४८५२), योजन तथा परिधि ३१८२७९ योजन बतलाई गई है। यों पूर्वोक्त क्रम के अनुसार प्रवेश करता हुआ सूर्य पूर्व मण्डल से उत्तर मण्डल पर जाता हुआ एकएक मण्डल पर ५२५/.योजन की विस्तार-वृद्धि कम करता हुआ, अठारह-अठारह योजन की परिधि-वृद्धि कम करता हुआ सर्वाभ्यान्तर-मण्डल पर पहुँच कर आगे गति करता है। मुहूर्त-गति १६६. जया णं भंते ! सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइअं खेत्तं गच्छइ ? गोयमा ! पंच-पंच जोअणसहस्साई दोण्णि अ एगावण्णे जोअणसए एगुणतीसं च सट्ठिभाए जोअणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ। तया णं इहगयस्स मणूसस्स सीआलीसाए जोअणसहस्सेहिं दोहि अतेवढेहिं जोअणसएहिं एगवीसाए अजोअणस्स सट्ठिभाएहिं सूरिए चक्खुप्फासं हव्वामागच्छइ त्ति। से णिक्खममाणे सूरिए नवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि सव्वब्भंतराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ त्ति। जया णं भंते ! सूरिए अब्भंतराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तयाणं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइअं खेत्तं गच्छइ ? ___ गोयमा ! पंच-पंच जोअणसहस्साइं दोण्णि अ एगावण्णे जोअणसए सेआलीसं च सट्ठिभागे जोअणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ। तया णं इहगयस्स मणुसस्स सीआलीसाए जोअणसहस्सेहिं एगूणासीए जोअणसए सत्तावण्णाए असट्ठिभाएहिं जोअणस्स सट्ठिभागं च एगसट्ठिधा छेत्ता एगूमवीसाए चुण्णिआभागेहिं सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छइ। से णिक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि अब्भंतरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ। जया णं भंते ! सूरिए अब्भंतरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइअं खेत्तं गच्छइ ? । गोयमा ! पंच-पंच जोअणसहस्साइंदोण्णि अ बावण्णे जोअणसए पंच य सट्ठिभाए

Loading...

Page Navigation
1 ... 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482