Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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चतुर्थ वक्षस्कार ]
बीच का विभाग तथा ३. उपरितनविभाग — ऊपर का विभाग ।
भगवन् ! मन्दर पर्वत का अधस्तनविभाग कितने प्रकार का बतलाया गया है ?
गौतम ! वह चार प्रकार का बतलाया गया है - १. पृथ्वी - मृत्तिकारूप, २. उपल - पाषाणरूप, ३. वज्र - हीरकमय तथा ४. शर्करा - कंकरमय ।
भगवन् ! उसका मध्यमविभाग कितने प्रकार का बतलाया गया है ?
गौतम ! वह चार प्रकार का बतलाय गया है - १. अंकरत्नमय, २. स्फटिकमय, ३. स्वर्णमय तथा ४. रजतमय ।
भगवन् ! उसका उपरितनविभाग कितने प्रकार का बतलाय गया है ?
गौतम ! वह एकाकार - एक प्रकार का बतलाया गया है। वह सर्वथा जम्बूनद - स्वर्णमय है ।
भगवन् ! मन्दर पर्वत का अधस्तन विभाग कितना ऊँचा बतलाया गया है ?
गौतम ! वह १००० योजन ऊँचा बतलाया गया है ।
भगवन् ! मन्दर पर्वत का मध्यम विभाग कितना ऊँचा बतलाया गया है ?
गौतम ! वह ६३००० योजन ऊँचा बतलाया गया है।
भगवन् ! मन्दर पर्वत का उपरितन विभाग कितना ऊँचा बतलाया गया है ?
गौतम ! वह ३६००० योजन ऊँचा बतलाया गया है । यों उसकी ऊँचाई का कुल परिमाणं १००० १००००० योजन है ।
+ ६३००० + ३६०००
मन्दर के नामधेय
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१३८ ! मंदरस्स णं भंते ! पव्वयस्स कति णामधेज्जा पण्णत्ता ?
गोयमा ! सोलस णामधेज्जा पण्णत्ता, तं जहा
मन्दर १, मेरु २, मणोरम ३, सुदंसण ४, संयपभे अ ५, गिरिराया ६ । रयणोच्चय ७, , सिलोच्चय ८, मज्झे लोगस्स ९, णाभी य १०॥१॥ अच्छे अ ११, सूरिआवत्ते १२, सूरिआवरणे १३, ति आ । उत्तमे अ १४, दिसादी अ १५, वडेंसेति अ १६, सोलसे ॥ २ ॥ सेकेणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ मंदरे पव्वए मंदरे पव्वए ?
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१. देखें सूत्र
गोयमा ! मंदरे पव्वए मंदरे णामं देवे परिवसइ महिड्डीए जाव ' पलिओवमट्ठिइए, से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ मंदरे पव्वए २ अदुत्तरं तं चेवत्ति ।
संख्या १४