Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र
को पचाने में असमर्थ अपनी जठराग्नि के अनुरूप उन्हें आहारयोग्य बना लेंगे। इस आहार-वृत्ति द्वारा वे इक्कीस हजार वर्ष पर्यन्त अपना निर्वाह करेंगे।
___भगवन् ! वे मनुष्य, जो निःशील-शीलरहित-आचाररहित, निर्वत–महाव्रत-अणुव्रतरहित, निर्गुणउत्तरगुणरहित, निर्मर्याद-कुल आदि की मर्यादाओं से रहित, प्रत्याख्यान-त्याग, पौषध व उपवासरहित होंगे, प्रायः मांस-भोजी, मत्स्य-भोजी, यत्र-तत्र अवशिष्ट क्षुद्र-तुच्छ धान्यादिक-भोजी, कुणिपभोजी-शवरसवसा या चर्बी आदि दुर्गन्धित पदार्थ-भोजी होंगे।
अपना आयुष्य समाप्त होने पर मरकर कहाँ जायेंगे, कहाँ उत्पन्न होंगे? गौतम ! वे प्रायः नरकगति और तिर्यञ्चगति में उत्पन्न होंगे।
भगवन् ! तत्कालवर्ती सिंह, बाघ, भेड़िए, चीते, रीछ, तरक्ष-व्याघ्रजातीय हिंसक जन्तुविशेष, गेंडे, शरभ-अष्टापद, शृगाल, बिलाव, कुत्ते, जंगली कुत्ते या सूअर, खरगोश, चीतल तथा चिल्ललक, जो प्रायः मांसाहारी, मत्स्याहारी, क्षुद्राहारी तथा कुणपाहारी होते हैं, मरकर कहाँ जायेंगे ? कहाँ उत्पन्न होंगे?
गौतम ! प्रायः नरकगति और तिर्यञ्चगति में उत्पन्न होंगे।
भगवन् ! ढंक-काक विशेष, कंक-कठफोड़ा, पीलक, मद्गुक-जल काक, शिखी-मयूर, जो प्रायः मांसाहारी, (मत्स्याहारी, क्षुद्राहारी तथा कुणपाहारी होते हैं, मरकर) कहाँ जायेंगे ? कहाँ जन्मेंगे?
गौतम ! वे प्रायः नरकगति और तिर्यञ्चगति में जायेंगे। आगमिष्यत् उत्सर्पिणी : दुःषम-दुःषमा-दुषमकाल
४७. तीसेणंसमाए इक्कवीसाए वाससहस्सेहिं काले वीइक्कंते आगमिस्साए उस्सप्पिणीए सावणबहुलपडिवए बालवकरणंसि अभीइणक्खत्ते चोद्दसपढमसमये अणंतेहिं वण्णपज्जवेहिं जाव' अणंतगुण-परिविद्धीए परिवद्धेमाणे परिवद्धमाणे एत्थ णं दूसमदूसमा णामं समा काले पडिवज्जिस्सइ समणाउसो!
तीस णं भंते ! समाए भरहस्स वासस्स केरिसए आगारभावपडोआरे भविस्सइ? गोयमा ! काले भविस्सइ हाहाभूए, भंभाभूए एवं सो चेव दूसमदूसमावेढओ णेअव्वो।
तीसे णं समाए एक्कवीसाए वाससहस्सेहिं काले विइक्कंते अणंतेहिं वण्णपज्जवेहिं जाव २ अणंतगुणपरिविद्धीए परिवद्धेमाणे परिवद्धेमाणे एत्थ णं दूसमा णामं समा काले पडिवज्जिस्सइ समणाउसो!
[४७] आयुष्मन् श्रमण गौतम ! उस काल के-अवसर्पिणी काल के छठे आरक के इक्कीस हजार वर्ष व्यतीत हो जाने पर आने वाले उत्सर्पिणी-काल का श्रावण मास, कृष्ण पक्ष प्रतिपदा के दिन बालव
१. देखें सूत्र संख्या २८। २. देखें सूत्र संख्या ३५