Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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द्वितीय वक्षस्कार]
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नामक करण में चन्द्रमा के साथ अभिजित् नक्षत्र का योग होने पर चतुर्दशविध काल के प्रथम समय में दुषम-दुषमा आरक प्रारम्भ होगा। उसमें अनन्त वर्णपर्याय आदि अनन्तगुण-परिवृद्धि-क्रम से परिवर्द्धित होते जायेंगे।
भगवन् ! उस काल में भरतक्षेत्र का आकार-स्वरूप कैसा होगा ?
आयुष्मन् श्रमण गौतम ! उस समय हाहाकारमय, चीत्कारमय स्थिति होगी, जैसा अवसर्पिणी-काल के छठे आरक के सन्दर्भ में वर्णन किया गया है।
उस काल के-उत्सर्पिणी के प्रथम आरक दुःषम-दुःषमा के इक्कीस हजार वर्ष व्यतीत हो जाने पर उसका दुःषमा नामक द्वितीय आरक प्रारम्भ होगा। उसमें अनन्त वर्णपर्याय आदि अनन्तगुण-परिवृद्धिक्रम से परिवर्द्धित होते जायेंगे। जल-क्षीर-घृत-अमृतरस-वर्षा
४८. तेणंकालेणं तेणंसमएणं पुक्खलसंवट्टए णामं महामेहे पाउब्भविस्सह भरहप्पमाणमित्ते आयामेणं, तदणुरूवं च णं विक्खंभबाहल्लेणं। तए णं से पुक्खलसंवट्टए महामेहे खिप्पामेव पतणतणाइस्सइ, खिप्पामेव पतणतणाइत्ता खिप्पामेव पविजुआइस्सइ, खिप्पामेव पविजुआइत्ता खिप्पामेव जुगमुसलमुट्ठिप्पमाणमित्ताहिं धाराहिं ओघमेघं सत्तरत्तं वासं वासिस्सइं,जेणं भरहस्स वासस्स भूमिभागं इंगालभूअं, मुम्मुरभूअं, छारिअभूअं, तत्त-कवेल्लुगभूअं, तत्तसमजोइभूअं णिव्वाविस्सति त्ति।
' तंसिचणं पुक्खलसंवट्टगंसि महामेहंसि सत्तरत्तं णिवतितंसि समाणंसि एत्थ णं खीरमेहे णामं महामेहे पाउब्भविस्सइ, भरहप्पमाणमेत्ते आयामेणं, तदणुरूवं च णं विक्खंभवाहल्लेणं। तए णं से खीरमेहे णामं महामेहे खिप्पामेव पतणतणाइस्सइ (खिप्पामेव पतणतणाइत्ता खिप्पामेव पविजुआइस्सइ, खिप्पामेव पविजुआइत्ता)खिप्पामेव जुगलमुसलमुट्ठि-(प्पमाणमित्ताहिंधाराहिं ओघमेघ ) सत्तरत्तं वासंवासिस्सइ, जेणं भरहवासस्स भूमीए वण्णं गंधं रसं फासंचजणइस्सइ।
__तंसि च णं खीरमेहंसि सत्तरत्तं णिवतितंसि समाणंसि इत्थ णं घयमेहे णामं महामेहे पाउब्भविस्सइ, भरहप्पमाणमेत्ते आयामेण, तदणुरूवंचणं विक्खंभवाहल्लेणं।तएणं से घयमेहे महामेहे खिप्पामेव पतणतणाइस्सइ जाववासंवासिस्सइ, जेणंभरहस्स वासस्स भूमीए सिणेहभावं जणइस्सइ।
तंसि च णं घयमेहंसि सत्तरत्तं णिवतितंसि समाणंसि एत्थ णं अमयमेहे णामं महामेहे पाउब्भविस्सइ, भरहप्पमाणमित्तं आयामेणं, (तदणुरूवं च णं विक्खंभवाहल्लेणं। तए णं से
१. १. निःश्वास उच्छ्वास, २. प्राण, ३. स्तोक, ४. लव, ५. मुहूर्त, ६. अहोरात्र, ७. पक्ष, ८. मास, ९. ऋतु, १०.अयन, ११. संवत्सर,
१२. युग, १३. करण, १४. नक्षत्र । २. देखें सूत्र यहीं