Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text
________________
२५२ ]
[जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र
मंगलावई० विजयस्स पच्चत्थिमेणं, देवकुराए पुरत्थिमेणं एत्थ णं जम्बुद्दीवे २ महाविदेहे वासे सोमणसे णामं वक्खारपव्वए पण्णत्ते । उत्तरदाहिणायए, पाईणपडीणवित्थिण्णे, जहा मालवन्ते वक्खारपव्वए तहा णवरं सव्वरययामये अच्छे जाव ' पडिरूवे । णिसहवासहरपव्वयंतेणं चत्तारि जोअणसयाई उद्धं उच्चत्तेणं, चत्तारि गाऊसयाई उव्वेहेणं, सेसं तहेव सव्वं णवरं अट्ठो से, गोयमा ! सोमणसे णं वक्खारपव्वए । बहवे देवा य देवीओ अ, सोमा, सुमणा, सोमणसे अ इत्थ देवे महिड्डीए जाव ' परिवसइ, से एएणट्टेणं गोयमा ! जाव णिच्चे । सोमणसे अ वक्खारपव्वए कई कूडा पण्णत्ता ?
गोयमा ! सत्त कूडा पण्णत्ता, तं जहा
सिद्धे १ सोमणसे २ वि अ, बोद्धव्वे मंगलावई कूडे ३ । देवकुरु ४ विमल ५ कंचण ६, वसिट्ठकूडे ७ अ बोद्धव्वे ॥ १ ॥
एवं सव्वे पञ्चसइआ कूडा, एससिं पुच्छा दिसिविदिसाए भाणिअव्वा जहा गंधमायणस्स, विमलकञ्चणकूडेसु णवरिं देवियाओ सुवच्छा वच्छमित्ता य अवसिट्ठेसु कूडेसु सरिस - णामया देवा रायहाणीओ दक्खिणेणंति ।
[१२५] भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत महाविदेह क्षेत्र में सौमनस नामक वक्षस्कार पर्वत कहाँ बतलाया गया है ?
गौतम ! निषध वर्षधर पर्वत के उत्तर में, मन्दर पर्वत के दक्षिण-पूर्व में - आग्नेय कोण में, मंगलावती विजय के पश्चिम में, देवकुरु के पूर्व में जम्बूद्वीप के अन्तर्गत महाविदेह क्षेत्र में सौमनस नामक वक्षंस्कार पर्वत बतलाया गया है। वह उत्तर - दक्षिण लम्बा तथा पूर्व-पश्चिम चौड़ा है। जैसा माल्यवान् वक्षस्कार पर्वत है, वैसा ही वह है। इतनी विशेषता है - वह सर्वथा रजतमय है, उज्ज्वल है, सुन्दर है । वह निषध वर्षधर पर्वत के पास ४०० योजन ऊँचा है। वह ४०० कोश जमीन में गहरा है। बाकी सारा वर्णन माल्यवान् वक्षस्कार पर्वत की ज्यों है ।
गौतम ! सौमनस वक्षस्कार पर्वत पर बहुत से सौम्य - सरल - मधुर स्वभावयुक्त, कायकुचेष्टारहित, सुमनस्क — उत्तम भावना युक्त, मनःकालुष्य रहित देव - देवियां आश्रय लेते हैं, विश्राम करते हैं । तदधिष्ठायक परम ऋद्धिशाली सौमनस नामक देव वहाँ निवास करता है । इस कारण वह सौमनस वक्षस्कार पर्वत कहलाता है । अथवा गौतम ! उसका यह नाम नित्य है- सदा से चला आ रहा है।
भगवन् ! सौमनस वक्षस्कार पर्वत के कितने कूट बतलाये हैं ?
गौतम ! उसके सात कूट बतलाये गये हैं - १. सिद्धायतनकूट, २. सौमनसकूट, ३. मंगलावती कूट, ४. देवकुरुकूट, ५. विमलकूट, ६. कंचनकूट तथा ७. वशिष्ठकूट ।
१. देखें सूत्र संख्या ४
२. देखें सूत्र संख्या १४