Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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२८]
[१६९१-४ प्र.] भगवन् ! कषायवेदनीयकर्म कितने प्रकार का कहा गया है ?
[ १६९१-४ उ. ] गौतम ! वह सोलह प्रकार कहा गया है, यथा - ( १ ) अनन्तानुबन्धी क्रोध, (२) अनन्तानुबन्धी मान, (३) अनुन्तानुबन्धी माया, (४) अनन्तानुबधी लोभ; (५-६-७-८) अप्रत्याख्यानावरण क्रोध, मान, माया और लोभ; (९-१०-११-१२) प्रत्याख्यानावरण क्रोध, मान, माया, तथा लोभ, इसी प्रकार (१३-१४-१५-१६) संज्वलन क्रोध, मान, माया एवं लोभ ।
[५] णोकसायवेयणिज्ने णं भंते! कम्मे कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा! णवविहे पण्णत्ते। तं जहा - इत्थिवेए १ पुरिसवेए २ णपुंसगवेदे ३ हासे ४ रती ५ अरती ६ भये ७ सोगे ८ दुर्गुछा ९ ।
[१६९१-५ प्र.] भगवन्! नोकषाय- वेदनीयकर्म कितने प्रकार का कहा गया है ?
[१६९१-५ उ.] गौतम! वह नौ प्रकार का कहा गया है, यथा (१) स्त्रीवेद, (२) पुरुषवेद, (३) नपुंसकवेद, (४) हास्य, (५) रति, (६) अरति, (७) भय, (८) शोक और (९) जुगुप्सा । १६९२. आउए णं भंते ! कम्मे कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! चउव्विहे पण्णत्ते । तं जहा णेरड्याउए जाव देवाउए ।
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[१६९२ प्र.] भगवन्! आयुकर्म सकितने प्रकार का कहा गया है ? [ १६९२ उ.] गौतम! वह चार प्रकार का कहा गया है, यथा१६९३. णामे णं भंते ! कम्मे कतिविहे पण्णत्ते ?
[ तेईसवाँ कर्मप्रकृतिपद ]
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• नारकायु यावत् देवायु।
गोमा ! बायालीसइविहे पण्णत्ते । तं जहा - गतिणामे १ जाइणामे २ सरीरणामे ३ सरीरंगोवंगणामे ४ सरीरबंधणणामे ५ सरीरसंघायणामे ६ संघयणणामे ७ संठाणणामे ८ वण्णणामे ९ गंधणामे १० रसणामे ११ फासणामे १२ अगुरूलहुयणामे १३ उवघायणामे १४ पराघायणामे १५ आणुपुव्वीणामे १६ उस्सासणामे १७ आयवणामे १८ उज्जोयणामे १९ विहायगतिणामे २० तसणामे २१ थावरणामे २२ सुहुमणामे २३ बादरणामे २४ पज्जत्तणामे २५ अपज्जत्तणामे २६ साहारणसरीरणामे २७ पत्तेयसरीरणामे २८ थिरणामे २९ अथिरणामे ३० सुभणामे ३१ असुभणामे ३२ सुभगणामे ३३ दूभगणामे ३४ सूसरणामे ३५ दूसरणामे ३६ आदेज्जणामे ३७ अणादेज्जणामे ३८ जसोकित्तिणामे ३९ अजसोकित्तिणामे ४० णिम्माणणामे ४१ तित्थगरणामे ४२ ।
[१६९३ प्र.] भगवन्! नामकर्म कितने प्रकार का कहा गया है ?
[१६९३ उ.] गौतम! वह बयालीस प्रकार का कहा है, यथा
(१) गतिनाम, (२) जातिनाम, (३)
शरीरनाम, (४) शरीरांगोपांगनाम (५) शरीरबन्धननाम, (६) शरीरासंघातनाम, (७) संहनननाम, (८) संस्थाननाम, (९) वर्णनाम, (१०) गंधनाम, (११) रसनाम, (१२) स्पर्शनाम, (१३) अगुरुलघुनाम, (१४) उपघातनाम, (१५) पराघातनाम, (१६) आनुपूर्वीनाम, (१७) उच्छ्वासनाम, (१८) आतपनाम, (१९) उद्योतनाम, (२०) विहायोगतिनाम,
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