Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[ पैतीसवाँ वेदनापद ]
[२०६३ प्र.] भगवन् ! वेदना कितने प्रकार की कही गई है ?
[२०६३ उ.] गौतम ! वेदना तीन प्रकार की कही गई है । यथा - १. शारीरिक, २. मानसिक और ३. शारीरिकमानसिक ।
२०६४. णेरइया णं भंते! किं सारीरं वेदणं वेदेंति माणसं वेदणं वेदेंति सारीरमाणसं वेदणं वेदेंति ? गोयमा ! सारीरं पि वेयणं वेदेंति, माणसं पि वेदणं वेदेंति, सारीरमाणसं पि वेदणं वेदेंति ।
[२०६४ प्र.] भगवान्! नैरयिक शारीरिकवेदना वेदते हैं, मानसिकवेदना वेदते हैं अथवा शारीरिक-मानसिक वेदना वेदते हैं ? -
[२०६४ उ. ] गौतम ! वे शारीरिकवेदना भी वेदते हैं, मानसिकवेदना भी वेदते हैं और शारीरिक-मानसिकवेदना भी वेदते हैं।
२०६५. एवं जाव वेमाणया । णवरं एगिंदिय - विगलिंदिया सारीरं वेदणं वेदेंति, णो माणसं वेदणं वेदेति णो सारीरमाणसं वेयणं वेदेंति ।
[२०६५] इसी प्रकार वैमानिकों पर्यन्त कहना चाहिए - विशेष शारीरिकंवेदना ही वेदते हैं, किन्तु मानसिकवेदना या शारीरिक मानसिकवेदना नहीं वेदते ।
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विवेचन प्रकारान्तर से त्रिविध वेदना का स्वरूप शरीर में होने वाली वेदना शारीरिक वेदना, मन में होने वाली वेदना मानसिक तथा शरीर और मन दोनों में होने वाली वेदना शारीरिक मानसिकवेदना कहलाती है। एकेन्द्रिय और विकलेन्द्रिय को छोड़कर शेष समस्त दण्डकवर्ती जीवों में तीनों ही प्रकार की वेदना पाई जाती हैं। एकेन्द्रिय और विकलेन्द्रिय में मानसिक और शरीर मानसवेदना नहीं होती ।
चतुर्थ सातादि-वेदनाद्वार
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एकेन्द्रिय और विकलेन्द्रिय केवल
२०६६. कतिविहा णं भंते ! वेयणा पण्णत्ता ?
गोयमा ! तिविहा वेयणा पण्णत्ता । तं जहा - साया १ असाया २ सायासाया ३ ।
[२०६६ प्र.] भगवन्! वेदना कितने प्रकार की कही गई है ?
[२०६६ उ.] गौतम! वेदना तीन प्रकार की कही गई है, यथा - (१) साप्ता, (२) असाता और (३) साता
असाता ।
१. (क) प्रज्ञापना. (प्रमेयबोधिनी टीका), भा. ५, पृ. ८८९
(ख) प्रज्ञापना. मलयवृत्ति, अभि. रो. कोष भाग ६, पृ. १४४०
२०६७. णेरइया णं भंते! किं सायं वेदणं वेदेति असायं वेदणं वेदेति सायासायं वेदणं वेदेति ?
गोयमा ! तिविहं पि वेयणं वेदेंति ।
[२०६७ प्र.] भगवन्! नैरयिक क्या सातावेदना वेदते हैं, असातावेदना वेदते हैं, अथवा साता-असातावेदना वेदते हैं ?