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[ प्रज्ञापनासूत्र ]
[२०९५-१ उ.] गौतम ! वे किसी के होते हैं और किसी के नहीं होते। जिसके ( अतीत आहारक समुद्घात) होते हैं, उसके भी जघन्य एक या दो या तीन होते है और उत्कृष्ट चार होते है ।
[प्र.] भगवन्! एक-एक नारक के भावी समुद्घात कितने होते हैं ?
[उ.] गौतम! किसी के होते हैं और किसी के नहीं होते। जिसके होते हैं, उसके जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट चार समुद्घात होते हैं।
[२] एवं णिरंतरं जाव वेमाणियस्स । नवरं मणूसस्स अतीता वि पुरक्खडा वि जहा णेरइयस्स पुरेक्खडा ।
[२०९५-२] इसी प्रकार (असुरकुमारों से लेकर) लगातार वैमानिक पर्यन्त कहना चाहिए। विशेष यह है कि मनुष्य के अतीत और अनागत नारक के ( अतीत और अनागत आहारकसमुद्घात के) समान हैं
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२०९६. [ १ ] एगमेगस्स णं भंते! णेरइयस्स केवतिया केवलिसमुग्धाया अतीया ? गोयमा ! णत्थि ।
केवतिया पुरेक्खडा ?
गोमा ! कस्सइ अत्थि कस्सइ णत्थि, जस्सऽत्थि एक्को ।
[२०९६-१ प्र.] भगवन्! एक-एक नारक के अतीत केवलिसमुद्घात कितने हुए हैं ?
[२०९६-१ उ.] गौतम ! ( एक भी नारक के एक भी अतीत केवलिसमुद्घात) नहीं हैं।
[प्र.] भगवन्! (एक-एक नारक के) भावी (केवलिसमुद्घात) कितने होते हैं ?
[.] गौतम! किसी (नारक) के (भावी केवलिसमुद्घात) होता है, किसी के नहीं होता। जिसके होता है, उसके एक ही होता है ।
[ २ ] एवं जाव वेमाणियस्स । णवरं मणूसस्स अतीता कस्सइ अत्थि कस्सइ णत्थि । जस्सऽत्थि एक्को। एवं पुरेक्खडा वि।
[२०९६-२] इसी प्रकार वैमानिक पर्यन्त ( अतीत और अनागत केवलिसमुद्घातविषयक कथन करना चाहिए।) विशेष यह है कि किसी मनुष्य के अतीत केवलिसमुद्घात होता है, किसी के नहीं होता। जिसके होता है, उसके एक ही होता है। इसी प्रकार (अतीत केवलिसमुद्घात के समान मनुष्य के) भावी (केवलिसमुद्घात) का भी ( कथन जान लेना चाहिए)।
विवेचन
एक-एक जीव के अतीत- अनागत समुद्घात कितने ? प्रस्तुत प्रकरण में एक-एक जीव के कितने वेदनादि समुद्घात अतीत हो चुके हैं और कितने भविष्य में होने वाले हैं ?, इसका चौबीस दण्डकों के क्रम से निरूपण किया गया हैं।
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(१) वेदनासमुद्घात - एक-एक नारक के अनन्त वेदनासमुद्घात अतीत हुए हैं, क्योंकि नारकादि स्थान अनन्त हैं। एक-एक नारक स्थान को अनन्तबार प्राप्त किया है और एक बार नारक स्थान की प्राप्ति के समय एक
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