Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[तेतीसवाँ अवधिपद]
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१९९८. सोहम्मगदेवा णं भंते ! केवतियं खेत्तं ओहिणा जाणंति पासंति ?
गोयमा! जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागं, उक्कोसेणं अहे जाव इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए हेट्ठिल्ले चरिमंते, तिरियं जाव असंखेजे दीव-समुद्दे, उड्ढे जाव सगाई विमाणाइं ओहिणा जाणंति पासंति।
भगवन् ! सौधर्मदेव कितने क्षेत्र को अवधि (ज्ञान) द्वारा जानते-देखते हैं ?
गौतम ! वे जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग क्षेत्र को और उत्कृष्टतः नीचे इस रत्नप्रभापृथ्वी के निचले चरमान्त तक, तिरछे असंख्यात द्वीप-समुद्रों (तक) और ऊपर अपने-अपने विमानों तक (के क्षेत्र) को अवधि (ज्ञान) द्वारा जानते-देखते हैं।
१९९९. एवं ईसाणगदेवा वि। . [१९९९] इसी प्रकार ईशानदेवों के विषय में भी कहना चाहिए। २००० सणंकुमारदेवा वि एवं चेव। णवरं अहे जाव दोच्चाए सक्करप्भाए पुढवीए हेट्ठिल्ले चरिमंते।
[२०००] सनत्कुमार देवों की भी अवधिज्ञान विषयक क्षेत्रमर्यादा इसी प्रकार पूर्ववत् समझना चाहिए। किन्तु विशेष यह है कि ये नीचे दूसरी शर्कराप्रभा नरक पृथ्वी के निचले चरमान्त तक जानते-देखते हैं।
२००१. एवं माहिंदगदेवा वि। [२००१] माहेन्द्रदेवों के विषय में भी इसी प्रकार क्षेत्रमर्यादा समझनी चाहिए। २००२ बंभलोग-लंतगदेवा तच्चाए पुढवीए हेट्ठिल्ले चरिमंते। .
[२००२] ब्रह्मलोक और लान्तकदेव नीचे तीसरी (बालुका) पृथ्वी के निचले चरमान्त तक जानते-देखते हैं। शेष सब पूर्ववत्।
२००३. महासुक्क-सहस्सारगदेवा चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए हेट्ठिल्ले चरिमंते। [२००३] महाशुक्र और सहस्रारदेव (नीचे) चौथी पंकप्रभापृथ्वी के निचले चरमान्त (तक जानते-देखते
२००४. आणय-पाणय-आरण-अच्चुयदेवा अहे जाव पंचमाए धूमप्पभाए पुढवीए हेट्ठिल्ले चरिमंते।
[२००४] आनत, प्राणत, आरण अच्युत देव नीचे पाँचवीं धूमप्रभापृथ्वी के निचले चरमान्त पर्यन्त जानतेदेखते हैं।
२००५ हेट्ठिम-मज्झिमगेवेज्जगदेवा अहे छट्ठए तमाए पुढवीए हेट्ठिल्ले चरिमंते?
[२००५] निचले और मध्यम ग्रैवेयकदेव नीचे छठी तमःप्रभापृथ्वी के निचले चरमान्त पर्यन्त क्षेत्र को जानते-देखते हैं।
२००६. उवरिमगेवेजगदेवा णं भंते ! केवतियं खेत्तं ओहिणा जाणंति पासंति ? गोयमा! जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागं, उक्कोसेणं अहेसत्तमाए पुढवीए हेट्ठिल्ले चरिमंते,