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[तेतीसवाँ अवधिपद]
[१८३ [१९८५] शर्कराप्रभापृथ्वी के नारक जघन्य तीन गाऊ और उत्कृष्ट साढ़े तीन गाऊ (क्षेत्र को) अवधि-(ज्ञान) से जानते-देखते हैं।
१९८६. वालुयप्पभापुढविणेरइया जहण्णेणं अड्डाइजाई गाउयाई, उक्कोसेणं तिण्णि गाउआई ओहिणा जाणंति पासंति।
[१९८६] बालुकाप्रभापृथ्वी के नारक जघन्य ढाई गाऊ और उत्कृष्ट तीन गाऊ (क्षेत्र को) अवधि (ज्ञान) से जानते - देखते हैं।
१९८७. पंकप्पभापुढविणेरइया जहण्णेणं दोण्णि गाउयाई, उक्कोसेणं अड्डाइजाई गाउआई ओहिणा जाणंति पासंति।
[१९८७] पंकप्रभापृथ्वी के नारक जघन्य दो गाऊ और उत्कृष्ट ढाई गाऊ (प्रमाण क्षेत्र को) अवधि (ज्ञान) से जानते-देखते हैं।
१९८८. धूमप्पभापुढविणेरइयाणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णेणं दिवड्ढ गाउई, उक्कोसेणं दो गाउआई ओहिणा जाणंति पासंति। [१९८८ प्र.] भगवन् ! धूमप्रभापृथ्वी के नारक अवधि (ज्ञान) से कितने क्षेत्र को जानते-देखते हैं ? [१९८८ उ.] गौतम! वे जघन्य डेढ़ गाऊ और उत्कृष्ट दो गाऊ (क्षेत्र को) अवधि (ज्ञान) से जानते-देखते हैं। १९८९. तमापुढवि०? गोयमा! जहण्णेणं गाउयं, उक्कोसेणं दिवड्ढे गाउयं ओहिणा जाणंति पासंति। [१९८९ प्र.] भगवन् ! तमःप्रभापृथ्वी के नारक अवधि (ज्ञान) से कितने क्षेत्र को जानते-देखते हैं ? [१९८९ उ.] गौतम! वे जघन्य एक गाऊ और उत्कृष्ट डेढ़ गाऊ (क्षेत्र को) अवधि (ज्ञान) से जानते-देखते
१९९०. अहेसत्तमाए पुच्छा। गोयमा! जहण्णेणं अद्धगाउयं, उक्कोसेणं गाउयं ओहिणा जाणंति पासंति।
[१९९० प्र.] भगवन् ! अधःसप्तम (तमस्तमःप्रभा) पृथ्वी के नैरयिक कितने क्षेत्र को अवधि (ज्ञान) से जानते-देखते हैं ?
[१९९० उ.] गौतम! वे जघन्य आधा गाऊ और उत्कृष्ट एक गाऊ (क्षेत्र को) अवधि (ज्ञान) से जानते-देखते
१९९१. असुरकुमारा णं भंते ! ओहिणा केवतियं खेत्तं जाणंति पासंति ? गोयमा ! जहण्णेणं पणुवीसं जोयणाई, उक्कोसेणं असंखेजे दीव-समुद्दे ओहिणा जाणंति पासंति। [१९९१ प्र.] भगवान् ! असुरकुमारदेव अवधि (ज्ञान) से कितने क्षेत्र को जानते-देखते हैं?