Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[ तीसवाँ पश्यत्तापद]
[१६१ १९४०. णेरइयाणं भंते! कतिविहा पासणया पण्णत्ता? गोयमा! दुविहा पण्णत्ता। तं जहा - सागारपासणया अणागारपासणया य। [१९४० प्र.] भगवन् ! नैरयिक जीवों की पश्यत्ता कितने प्रकार की कही गई है ? [१९४० उ.] गौतम! दो प्रकार की कही गई है, यथा-साकारपश्यत्ता और अनाकारपश्यत्ता। १९४१. णेरइयाणं भंते! सागारपासणया कतिविहा पण्णत्ता ?
गोयमा! चउव्विहा पण्णत्ता। तं जहा-सुयणाणसागारपासणया १ ओहिणाणसागारपासणया २ सुयअण्णाणसागारपासणया ३ विभंगणाणसागारपासणया ४।
[१९४१ प्र.] भगवन् ! नैरयिक की साकारपश्यत्ता कितने प्रकार की कही गई है ?
[१९४१ उ.] गौतम! उनकी पश्यत्ता चार प्रकार की कही गई है, यथा – (१) श्रुतज्ञानसाकारपश्यत्ता, (२) अवधिज्ञानसाकारपश्यत्ता, (३) श्रुत-अज्ञानसाकारपश्यत्ता और (४) विभंगज्ञानसाकारपश्यत्ता।
१९४२. णेरइयाणं भंते! अणागारपासणया कतिविहा पण्णत्ता ? .गोयमा! दुविहा पण्णत्ता । तं जहा - चक्खुदंसणअणागारपासणया य ओहिदंसणअणागारपासणया य।
[१९४२ प्र.] भगवन् ! नैरयिकों की अनाकारपश्यत्ता कितने प्रकार की कही गई है ?
[१९४२ उ.] गौतम! वह दो प्रकार की कही गई है, यथा - चक्षुदर्शन-अनाकारपश्यत्ता और अवधिदर्शन - अनाकारपश्यत्ता।
१९४३. एवं जाव थणियकुमारा । [१९४३] इसी प्रकार स्तनितकुमारों तक (की पश्यत्ता जाननी चाहिए।) १९४४. पुढविक्काइयाणं भंते! कतिविहा पासणया पण्णत्ता ? गोयमा! एगा सागारपासणया। [१९४४ प्र.] भगवन्! पृथ्वीकायिक जीवों की पश्यत्ता कितने प्रकार की कही गई है ? [१९४४ उ.] गौतम! उनमें एक साकारपश्यत्ता कही है। १९४५. पुढविक्काइयाणं भंते! सागारपासणया कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा! एगा सुयअण्णाणसगारपासणया पण्णत्ता ? [१९४५ प्र.] भगवन् ! पृथ्वीकायिकों की साकारपश्यत्ता कितने प्रकार की कही गई है? [१९४५ उ.] गौतम! उनमें एक मात्र श्रुत-अज्ञानसाकारपश्यत्ता कही गई है। १९४६. एवं जाव वणस्सइकाइयाणं।