Book Title: Agam 08 Ang 08 Anantkrut Dashang Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Divyaprabhashreeji, Devendramuni, Ratanmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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प्रथम वर्ग]
[१७ ग्यारहवें मास में तीन, बारहवें मास में दो, तेरहवें मास में दो, चौदहवें मास में दो, पन्द्रहवें मास में दो, सोलहवें मास में दो दिन पारणे के होते हैं। ये सब मिलाकर ७३ दिन पारणा के होते हैं। तपस्या के ४०७
और पारणा के ७३ ये दोनों मिलाकर ४८० दिन होते हैं अर्थात् सोलह महीनों में यह तप पूर्ण होता है। इस तप में, किसी महीने में तपस्या और पारणा के दिन मिलाकर तीस से अधिक हो जाते हैं और किसी मास में तीस से कम रह जाते हैं, किन्तु कम और अधिक की एक दूसरे में पूर्ति कर देने से तीस की पूर्ति हो जाती है, इस तरह से यह तप बराबर सोलह मास में पूर्ण हो जाता है।
संक्षेप में इस तप के अन्तर्गत पहले मास में एकान्तर उपवास किया जाता है, दूसरे मास में बेलेबेले पारणा करना होता है, तीसरे महीने में तेले-तेले पारणा करना पड़ता है। इसी प्रकार बढ़ाते हुए सोलहवें महीने में सोलह-सोलह उपवास करके पारणा किया जाता है। इस तप में दिन को उत्कुटुक आसन में बैठकर सूर्य की आतापना ली जाती है और रात्रि को वस्त्ररहित वीरासन में बैठकर ध्यान लगाना होता है। गुणरत्नसंवत्सर तप का यन्त्र भी देखने में आता है, जो इस प्रकार हैतप दिन पारणा दिन
सर्व दिन ३२/१६ | १६
३०/१५ | १५ |
२४/१२
|१२
११/११
३०१० | १०|१०
२७ ९ | ९ | ९
२४८ ८ ८
२१७ | ७७