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कृष्णा देवी का महासिंहनिष्क्रीडित तप
७- एवं कण्हा वि । नवरं - महालयं सीहणिक्कीलियं तवोकम्मं, जहेव खुड्डागं । नवरं चोत्तीसइमं जाव नेयव्वं । 'तहेव ओसारेयव्वं'। एक्काए वरिसं छम्मासा अट्ठारस य दिवसा । चउण्हं छव्वरिसा दो मासा बारस य अहोरत्ता। सेसं जहा कालीए जाव' सिद्धा ।
चतुर्थ अध्ययन
कृष्णा
होती है.
. वर्ग-५, सूत्र -६
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इसी प्रकार कृष्णा रानी के विषय में भी समझना । विशेष यह कि कृष्णा ने महासिंहनिष्क्रीडित तप किया। लघुसिंहनिष्क्रीडित तप से इसमें इतनी विशेषता है कि इसमें एक से लेकर १६ तक अनशन तप किया जाता है और उसी प्रकार उतारा जाता है। एक परिपाटी में एक ९ वर्ष, छह मास और अठारह दिन लगते हैं। चारों परिपाटियों
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में छह वर्ष, दो मास और बारह अहोरात्र लगते हैं । १०
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विवेचन - विशेष जानकारी प्रस्तुत यंत्र से स्पष्ट
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महालिय
सिंहनिक्कीलियं
पारणे
तप के दिन
तपस्या काल
एक परिपाटी
चार परिपाटी के पारणे २४४
का
काल
एक परिपाटी के पारणे ६१ चार परिपाटी के तपोदिन ५ वर्ष, ६ एक परिपाटी के तपोदिन १ वर्ष ४ मास, १७ दिन चार परिपाटी का काल ६ वर्ष, २ मास, १२ दिन
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मास, ८ दिन
वर्ष, ६ मास, १८ दिन
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