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[ अन्तकृद्दशा
करके पचौला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, पारणा करके उपवास किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके छह उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके उपवास किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके सात उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके उपवास किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके आठ उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारण किया, करके उपवास किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके नव उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके उपवास किया करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया करके दस उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके उपवास किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके ग्यारह उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके उपवास किया करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके बारह उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके उपवास किया करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके तेरह उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके उपवास किया करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके चौदह उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके उपवास किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके पन्द्रह उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके उपवास किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके सोलह उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके उपवास किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके उपवास किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके पन्द्रह उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया।
इस प्रकार जिस क्रम से उपवास बढाए जाते हैं उसी क्रम से उतारे जाते हैं यावत् अन्त में उपवास करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया जाता है ।
इस तरह यह एक परिपाटी हुई। एक परिपाटी का काल ग्यारह माह और पन्द्रह दिन होते हैं। ऐसी चार परिपाटियां इस तप में होती हैं। इन चारों परिपाटियों में तीन वर्ष और दस मास का समय लगता है। शेष वर्णन पूर्व की तरह समझना चाहिए।
विवेचन - मुक्तावली शब्द का अर्थ है - मोतियों का हार। जिस प्रकार मोतियों का हार बनाते समय उन मोतियों की स्थापना की जाती है, उसी प्रकार जिस तप में उपवासों की स्थापना की जाए, उस तप को मुक्तावली तप कहते हैं। स्पष्टता हेतु (अगले पृष्ठ पर ) यंत्र देखिए ।