________________
परिशिष्ट-२
व्यक्ति और भौगोलिक परिचय
विशिष्ट व्यक्ति परिचय ___ प्रस्तुत ग्रंथ में अनेक तीर्थंकरों, गणधरों, राजाओं, राजकुमारों एवं रानियों आदि का उल्लेख हुआ है। आगम और इतिहास की दृष्टि से अनेक विशेष परिचय को यहां प्रस्तुत किया जाता है। भगवान् अरिष्टनेमि तथा तीर्थंकर महावीर, जो सिद्धि प्राप्त आत्माओं के प्राणाधार हैं, के प्रसिद्ध होने से उनका परिचय नहीं दिया गया है। (१) इन्द्रभूति गौतम गणधर
इन्द्रभूति गौतम भगवान् महावीर के प्रधान शिष्य थे। मगध की राजधानी राजगृह के पास गोबर गांव उनकी जन्मभूमि थी', जो आज नालन्दा का ही एक विभाग माना जाता है। उनके पिता का नाम वसुभूति और माता का नाम पृथ्वी था। उनका गोत्र गौतम था। - गौतम का व्युत्पत्तिजन्य अर्थ करते हुए जैनाचार्यों ने लिखा है-बुद्धि के द्वारा जिसका अंधकार नष्ट हो गया है, वह गौतम। यों तो गौतम शब्द कुल और वंश का वाचक रहा है। स्थानांग में सात प्रकार के गौतम बताए गये हैं- गौतम, गार्ग्य, भारद्वाज, आंगिरस, शर्कराभ, भास्कराभ, उदकात्माभ। वैदिक साहित्य में गौतम नाम कुल से भी सम्बद्ध रहा है और ऋषियों से भी। ऋग्वेद में गौतम के नाम से अनेक सूक्त मिलते हैं, जिनका गौतम राहूगण नामक ऋषि से सम्बन्ध है।
वैसे गौतम नाम से अनेक ऋषि, धर्मसूत्रकार, न्यायशास्त्रकार, धर्मशास्त्रकार, प्रभृति व्यक्ति हो चुके हैं। अरुणउद्दालक, आरुणि आदि ऋषियों का भी पैतृक नाम गौतम था। यह कहना कठिन है कि इन्द्रभूति गौतम का गोत्र क्या था, वे किस ऋषि के वंश से सम्बद्ध थे? किन्तु इतना तो स्पष्ट है कि गौतम गोत्र के महान् गौरव के अनुरूप ही उनका व्यक्तित्व विराट् व प्रभावशाली था। १. मगहा गुब्बरगामे जाया तिन्नेव गोयमसगुत्ता। आवश्यक नियुक्ति, गा. ६४३ २. (क) आवश्यक नियुक्ति, गा.६४७-४८
(ख) आद्यानां त्रयाणां गणभूतां पिता वसुभूतिः। ___आद्यानां त्रयाणां गणभूतां माता पृथिवी। आवश्यक मलय.३३८
गोभिस्तमो ध्वस्तं यस्य-अभिधानराजेन्द्रकोष भा. ३ ४. जे गोयमा ते सत्तविहा पण्णत्ता, तं जहा ते गोयमा, ते गग्गा, ते भारद्दा, ते अंगिरसा, ते सकराभा, ते भक्खराभा, ते
उदगत्ताभा। स्थानांग ७/५५१.
ऋग्वेद १/६२/१३, वैदिक कोश, पृ. १३४. ६. भारतीय प्राचीन-चरित्र कोश, पृ. १९३-१९५