Book Title: Agam 08 Ang 08 Anantkrut Dashang Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Divyaprabhashreeji, Devendramuni, Ratanmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 236
________________ परिशिष्ट २] [१९५ ३. उदयगिरि ४. सुवर्णगिरि ५. रत्नगिरि महाभारत में पांच पर्वतों के नाम ये हैं -वैभार, वाराह, वृषभ, ऋषिगिरि और चैत्यक। वायुपुराण में भी पांच पर्वतों का उल्लेख मिलता है। जैसे-वैभार, विपुल, रत्नकूट, गिरिव्रज और रत्नाचल। भगवतीसूत्र के शतक २ उद्देश ५ में राजगृह के वैभार पर्वत के नीचे महातपोपतीरप्रभव नाम के उष्णजलमय प्रस्रवण-निर्झर का उल्लेख है। यह निर्झर आज भी विद्यमान है। बौद्ध ग्रन्थों में इस निर्झर का नाम 'तपादे' मिलता है, जो सम्भवतः 'तप्तोदक' से बना होगा। चीनी यात्री फाहियान ने भी इसको देखा था। (१३) सहस्राम्रवन उद्यान आगमों में इस उद्यान का प्रचुर उल्लेख मिलता है। काकन्दी नगरी के बाहर भी इसी नाम का एक सुन्दर उद्यान था, जहां पर धन्यकुमार और सुनक्षत्रकुमार की दीक्षा हुई थी। सहस्राम्रवन का उल्लेख निम्नलिखित नगरों के बाहर भी आता है१. काकन्दी के बाहर २. गिरनार पर्वत पर ३. काम्पिल्य नगर के बाहर ४. पाण्डु मथुरा के बाहर ५. मिथिला नगरी के बाहर ६. हस्तिनापुर के बाहर-आदि। (१४) साकेत भारत का एक प्राचीन नगर। यह कोशल देश की राजधानी था। आचार्य हेमचन्द्र ने साकेत, कोशल और अयोध्या-इन तीनों को एक ही कहा है। साकेत के समीप ही 'उत्तरकुरु' नाम का एक सुन्दर उद्यान था, उसमें 'पाशामृग' नाम का एक यक्षायतन था। साकेत नगर के राजा का नाम मित्रनन्दी और रानी का नाम श्रीकान्ता था। वर्तमान में फैजाबाद जिला में फैजाबाद से पूर्वोत्तर छह मील पर सरयू नदी के दक्षिणी तट पर स्थित वर्तमान अयोध्या के समीप ही प्राचीन साकेत होगा। (१५) श्रावस्ती यह कौशल राज्य की राजधानी थी। आधुनिक विद्वानों ने इसकी पहचान सहेर-महेर से की है।

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