Book Title: Agam 08 Ang 08 Anantkrut Dashang Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Divyaprabhashreeji, Devendramuni, Ratanmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[ अन्तकृद्दशा
सहेर गोंडा जिले में है और महेर बहराईच जिले में । महेर उत्तर में है और सहेर दक्षिण में । यह स्थान उत्तर-पूर्वीय रेलवे के बलरामपुर स्टेशन से जो सड़क जाती है, उससे दस मील दूर है । बहराईच से वह २९ मील पर अवस्थित है।
विद्वान बी० स्मिथ के अभिमतानुसार श्रावस्ती नेपाल देश के खजूरा प्रान्त में है और वह बालपुर की उत्तर दिशा में तथा नेपालगंज के सन्निकट उत्तर पूर्वीय दिशा में है। २ युआन चुआड्ग ने श्रावस्ती को जनपद माना है और उसका विस्तार छह हजार ली, उसकी राजधानी को 'प्रासाद नगर' कहा है, जिसका विस्तार बीस ली माना है । ३
था,
जैन दृष्टि से यह नगरी अचिरावती (राप्ती) नदी के किनारे बसी थी। जिसमें बहुत कम पानी रहता जिसे पार कर जैन श्रमण भिक्षा के लिए जाते थे। कभी-कभी उसमें बहुत तेज बाढ़ भी आ जाती थी । श्रावस्ती बौद्ध और जैन संस्कृति का केन्द्रस्थान रहा है। केशी और गौतम का ऐतिहासिक संवाद यहीं हुआ । अनेक ऐतिहासिक प्रसंग उस भूमि से जुड़े हुए हैं। भगवान् महावीर ने छद्मस्थावस्था में दसवाँ चातुर्मास वहां पर किया था । केवलज्ञान होने पर भी वे अनेक बार वहाँ पर पधारे थे और सैकड़ों व्यक्तियों को प्रव्रज्या प्रदान की थी और हजारों को उपासक बनाया था । श्रावस्ती के कोष्ठकोद्यान में गोशालक ने तेजोलेश्या से सुनक्षत्र और सर्वानुभूति मुनियों को मारा था और भगवान् महावीर पर भी तेजोलेश्या प्रक्षिप्त की थी। गोशालक का परम उपासक अयंपुल व हालाहला कुंभारिन यहीं के रहने वाले थे ।
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दी एन्शियण्ट ज्योग्राफी ऑफ इंडिया, पृ. ४६९-४७४.
जर्नल ऑफ रॉयल एशियाटिक सोसायटी, भाग १, जन. १९००
युआन चुआङ्गस ट्रेवेल्स इन इंडिया, भाग १ पृ. ३७७
(क) कल्पसूत्र
(ख) बृहत्कल्प सूत्र, ४ । ३३.
(ग) बृहत्कल्प भाष्य, ४ । ५६३९, ५६५३,
(क) आवश्यक चूर्णि, पृ. ६०१
(ख) आवश्यक हारिभद्रीया वृत्ति, पृ. ४६५.
(ग) आवश्यक मलयगिरि वृत्ति, पृ. ५६७
(घ) टौनी का कथाकोश, पृ. ६.
उत्तराध्ययन
देखिए प्रस्तुत ग्रन्थ.