Book Title: Agam 08 Ang 08 Anantkrut Dashang Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Divyaprabhashreeji, Devendramuni, Ratanmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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१८०]
[ अन्तकृद्दशा
प्रकार जैन ग्रन्थों में प्रायः जितशत्रु राजा का नाम आता है। जितशत्रु के साथ प्रायः धारिणी का भी नाम आता है। किसी भी कथा के प्रारम्भ में किसी न किसी राजा का नाम बतलाना कथाकारों की पुरातन पद्धति रही है।
इस नाम का भले ही कोई राजा न भी हो, तथापि कथाकार अपनी कथा के प्रारम्भ में इस नाम का उपयोग करता है। वैसे जैन- साहित्य के कथा-ग्रन्थों में जितशत्रु राजा का उल्लेख बहुत आता है। निम्नलिखित नगरों के राजा का नाम जितशत्रु बताया गया है
नगर
वाणिज्य ग्राम
चम्पा नगरी
उज्जयनी
सर्वतोभद्र नगर
मिथिला नगरी
पांचल देश
१.
२.
३.
४.
५.
६.
७.
आमलकल्पा नगरी
सावत्थी नगरी
वाणारसी नगरी
आलभिया नगरी
८.
९.
१०.
११. पोलासपुर
(८) धारिणी देवी
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राजा
जितशत्रु
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श्रेणिक राजा की पटरानी थी। धारिणी का उल्लेख आगमो में प्रचुर मात्रा में पाया जाता '
संस्कृत साहित्य के नाटकों में प्रायः राजा की सबसे बड़ी रानी के नाम के आगे 'देवी' विशेषण लगाया जाता है, जिसका अर्थ होता है रानियों में सबसे बड़ी अभिषिक्त रानी, अर्थात् पटरानी ।
राजा श्रेणिक के अनेक रानियां उनमें धारिणी मुख्य थी । इसीलिए धारिणी के आगे 'देवी' विशेषण लगाया गया है। देवी का अर्थ है- पूज्या ।
मेघकुमार इसी धारिणी देवी का पुत्र था, जिसने भगवान् महावीर के पास दीक्षा ग्रहण की थी। (९) महाबलकुमार
बल राजा का पुत्र । सुदर्शन सेठ का जीव महाबलकुमार । हस्तिनापुर नामक नगर था । वहां का राजा बल और रानी प्रभावती थी। एक बार रात में अर्धनिद्रा में रानी ने देखा
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'एक सिंह आकाश से उतर कर मुख में प्रवेश कर रहा है।' सिंह का स्वप्न देखकर रानी जाग उठी, और राजा बल के शयन कक्ष में जाकर स्वप्न सुनाया। राजा ने मधुर स्वर में कहा