Book Title: Agam 08 Ang 08 Anantkrut Dashang Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Divyaprabhashreeji, Devendramuni, Ratanmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Prakashan Samiti

Previous | Next

Page 210
________________ अष्टम वर्ग] [१६९ एक आयंबिल किया, करके उपवास किया, करके दो आयंबिल किये, करके उपवास किया, करके तीन आयंबिल किये, करके उपवास किया, करके चार आयंबिल किये, करके उपवास किया, करके पांच आयंबिल किये, करके उपवास किया, करके छह आयंबिल किये, करके उपवास किया। ऐसे एक एक की वृद्धि से आयंबिल बढ़ाए। बीच-बीच में उपवास किया, इस प्रकार सौ आयंबिल तक करके उपवास किया। इस प्रकार महासेनकृष्णा आर्या ने इस वर्द्धमान-आयंबिल' तप की आराधना चौदह वर्ष, तीन माह और बीस अहोरात्र की अवधि में सूत्रानुसार विधिपूर्वक पूर्ण की। आराधना पूर्ण करके आर्या महासेनकृष्णा जहां अपनी गुरुणी आर्या चन्दनबाला थीं, वहां आई और चंदनबाला को वंदना-नमस्कार करके, उनकी आज्ञा प्राप्त करके, बहुत से उपवास आदि से आत्मा को भावित करती हुई विचरने लगी। इस महान तपतेज से महासेनकृष्णा आर्या शरीर से दुर्बल हो जाने पर भी अत्यन्त देदीप्यमान लगने लगी। एकदा महासेनकृष्णा आर्या को स्कंदक के समान धर्म-चिंतन उत्पन्न हुआ। आर्यचंदना आर्या से पूछकर यावत् संलेखना की और जीवन-मरण की आकांक्षा से रहित होकर विचरने लगी। ___ महासेनकृष्णा आर्या ने आर्यचंदना आर्या के पास सामायिक से लेकर ग्यारह अंगों का अध्ययन किया, पूरे सत्रह वर्ष तक संयमधर्म का पालन करके, एक मास की संलेखना से आत्मा को भावित करके साठ भक्त अनशन को पूर्णकर यावत् जिस कार्य के लिये संयम लिया था। उसकी पूर्ण आराधना करके अंतिम श्वास-उच्छ्वास से सिद्ध बुद्ध मुक्त हुई। गाथार्थ-एवं श्रेणिक राजा की भार्याओं में से पहली काली देवी का दीक्षाकाल आठ वर्ष का, तत्पश्चात् क्रमश: एक-एक वर्ष की वृद्धि करते-करते दसवीं महासेनकृष्णा का दीक्षाकाल सत्तरह वर्ष का जानना चाहिए। विवेचन-'आयंबिल वड्डमाण'-आयंबिल-वर्द्धमान-वह तप है, जिसमें आयंबिल क्रमशः बढ़ाया जाता है। इस तप की आराधना में १४ वर्ष ३ माह और २० दिन लगते हैं। पिछले तपों का परिशीलन करने से पता चलता है कि सूत्रकार ने तपों की जो दिन-संख्या लिखी है, उसमें तपस्या के दिन और पारणे के दिन, इस प्रकार सभी दिन संकलित किए जाते हैं। यदि उसी पद्धति का अनुसरण किया जाए तो इसका काल-मान १४ वर्ष ३ माह और २० दिन कैसे हो सता है? समाधान यही है कि इसमें पारणे का कोई दिन नहीं आता। इसके दो कारण हैं-प्रथम तो सूत्रकार जैसे पीछे पारणे का निर्देश करते चले आ रहे हैं, वैसे यहां पर सूत्रकार ने निर्देश नहीं किया, दूसरा यदि पारणे के सब दिन भी साथ में सम्मिलित कर दिए जाएं तो इस तप की दिन संख्या १४ वर्ष ३ मास २० दिन न रहकर १४ वर्ष १० दिन हो जाती है। अत: यही समझना ठीक है कि आर्या महासेनकृष्णा ने १४ वर्ष ३ मास और २० दिन तक तप किया, बीच में कोई पारणा नहीं किया। आयंबिल-वर्धमान-तप का स्थापना यंत्र इस प्रकार है

Loading...

Page Navigation
1 ... 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249