Book Title: Agam 08 Ang 08 Anantkrut Dashang Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Divyaprabhashreeji, Devendramuni, Ratanmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 205
________________ १६४] [अन्तकृद्दशा सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके छह उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके सात उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके आठ उपवास किये, करके सर्वकामगणयक्त पारणा किया। यह तीसरी लता पूर्ण हुई। छह उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके सात उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके आठ उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके नव उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके पांच उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया। यह चौथी लता हुई। आठ उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके नव उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके पांच उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके छह उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके सात उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया। यह पांचवीं लता पूर्ण हुई। इस तरह पांच लताओं की एक परिपाटी हुई। ऐसी चार परिपाटियां इस तप में होती हैं। एक परिपाटी का काल छह माह और बीस दिन है। चारों परिपाटियों का काल दो वर्ष, दो माह और बीस दिन होता है। शेष वर्णन पर्व के अनसार समझना चाहिये। काली के समान आर्या रामकृष्णा भी संलेखना करके यावत् सिद्ध-बुद्ध मुक्त हो गई। विवेचन- भद्रोत्तर प्रतिमा का अर्थ है-भद्रा-कल्याण की प्रदाता, उत्तर-प्रधान। यह प्रतिमा परम कल्याणप्रद होने से भद्रोत्तरप्रतिमा कही जाती है। यह पांच उपवास से प्रारम्भ होकर नौ उपवास तक जाती है। भद्दुत्तरा-पडिमा तपदिन १७५७ पारणे २५ सर्वकाल ६ मास २० दिन

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