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[अन्तकृद्दशा सात उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके उपवास किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया।
इस तरह छठी लता पूर्ण हुई।
पचोला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके छह उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया करके सात उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके उपवास किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके बेला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके तेला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके चोला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया। . यह सातवीं लता पूर्ण हुई।
इस प्रकार सात लताओं की परिपार्टी का काल आठ मास और पांच दिन हुआ। चारों परिपाटियों का काल दो वर्ष आठ मास और बीस दिन होता है। शेष पूर्ववत् । पूर्ण आराधना करके अन्त में संलेखना करके वीरकृष्णा भी सिद्ध बुद्ध मुक्त हो गई।
विवेचन-महत्सर्वतोभद्र तप की प्रथम परिपाटी में तप के १९६ होते हैं और पारणो के दिन ४९ । इस प्रकार एक परिपाटी केकुल दिन २४५ होते हैं। इनको चार से गुणा करने पर चारो परिपाटियों के ९८० दिन होते हैं। प्रस्तुत यंत्र में कहीं से भी गिनने पर संख्या २८ होती है। स्पष्टता के लिए देखें यंत्र।
महालिया सव्वतोभद्द-पडिमा 0000000 000000 0000000 ( ३ ४ ५ ६ ७१ (२)
00000000 IDRB0000 0000000
तपदिन १९६ पारणे ४९