Book Title: Agam 08 Ang 08 Anantkrut Dashang Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Divyaprabhashreeji, Devendramuni, Ratanmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 197
________________ १५६] [अन्तकृद्दशा इसी प्रकार एक-एक दत्ति बढ़ाते हुए दसवें दशक में दस-दस दत्तियां भोजन की और दस पानी की स्वीकार करती है। दश-दशमिका भिक्षुप्रतिमा में एक सौ रात्रि-दिन लग जाते हैं। इसमें साढ़े पांच सौ (५५०) भिक्षाएँ और ११ सौ दत्तियां ग्रहण करनी होती हैं। सूत्रोक्त विधि के अनुसार दश-दशमिका भिक्षुप्रतिमा की आराधना करने के अनन्तर आर्या सुकृष्णा ने उपवास, बेला, तेला, चौला, पचौला, छह, सात, आठ, से लेकर १५ तथा मासखमण तक की तपस्या के अतिरिक्त अन्य अनेकविध तपों से अपनी आत्मा को भावित किया। इस कठिन तप के कारण आर्या सुकृष्णा अत्यधिक दुर्बल हो गई यावत् संपूर्ण कर्मों का क्षय करके मोक्षगति हो प्राप्त हुई। . विवेचन–सप्त-सप्तमिका भिक्षुप्रतिमा की तरह इस सूत्र में कथित अष्ट-अष्टमिका, नव-नवमिका तथा दश-दशमिका भिक्षुप्रतिमाएँ होती हैं। तीनों का अन्तर यंत्रों से स्पष्ट होता है। अट्ठमियाभिक्खूपडिमा २२२२२२२२ १६ ३३३३३३३३ २४ ३२ ६४ दिवस २८८ दत्तियां

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