________________
अष्टम वर्ग ]
[१५५
एवं खलु एयं अट्ठट्ठमियं भिक्खुपडिमं चउसट्ठीए रातिंदिएहिं दोहि य अट्ठासीएहिं भिक्खासएहिं अहासुत्तं जाव' आराहित्ता नवनवमियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ता णं विहरइ - पढमे नवए एक्केक्कं भोयणस्स दत्तिं पडिगाहेइ, एक्केक्कं पाणयस्स जाव [ दत्तिं पडिगाहेइ ] नवमे नवए नव-नव दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेइ, नव-नव पाणयस्स ।
एवं खलु एयं नवनवमियं भिक्खुपडिमं एक्कासीतिए राईदिएहिं चउहि य पंचुत्तरेहिं भिक्खासएहिं अहासुत्तं जाव' आराहेत्ता दसदसमियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ता णं विहरइ - पढमे दसए एक्के क्कं भोयणस्स दत्तिं पडिगाहेइ, एक्केक्कं पाणयस्स जाव [दत्तिं पडिगाहेइ ] ।
दसमे दसए दस-दस दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेइ, दस-दस पाणयस्स ।
एवं खलु एयं दसदसमियं भिक्खुपडिमं एक्केणं राइंदियसएणं अद्धछट्ठेहि य भिक्खासएहिं अहासुत्तं जावरे आराहेइ, आराहेत्ता बहूहिं चउत्थ-छट्ठट्ठम- दसम - दुवालसेहिं मासद्धमासखमणेहिं विविहेहिं तवोकम्मेहिं अप्पाणं भावेमाणी विहरइ ।
तणं सा सुकण्हा अज्जा तेणं ओरालेणं तवोकम्मेणं जाव सिद्धा । निक्खेवओ ।
आर्यचन्दना आर्या से आज्ञा प्राप्त होने पर आर्या सुकृष्णा देवी अष्ट- अष्टमिका नामक भिक्षुप्रतिमा को धारण करके विचरने लगी। अष्ट- अष्टमिका भिक्षुप्रतिमा का स्वरूप इस प्रकार है
पहले आठ दिनों में आर्या सुकृष्णा ने एक दत्ति भोजन की और एक दत्ति पानी की ग्रहण की। दूसरे अष्टक में अन्न-पानी की दो-दो दत्तियां लीं। इसी प्रकार क्रम से तीसरे में तीन-तीन, चौथे में चारचार, पांचवें में पांच-पांच, छट्ठे में छह-छह, सातवें में सात-सात और आठवें में आठ-आठ अन्न-जल की दत्तियां ग्रहण कीं 1
इस अष्ट- अष्टमिका भिक्षुप्रतिमा की आराधना में ६४ दिन लगे और २८८ भिक्षाएं ग्रहण की गईं। भिक्षुप्रतिमा की सूत्रोक्त पद्धति से आराधना करने के अनन्तर आर्या सुकृष्णा ने नव-नवमिका नामक भिक्षुप्रतिमा की आराधना आरम्भ कर दी ।
नव-नवमिका भिक्षुप्रतिमा की आराधना करते समय आर्या सुकृष्णा ने प्रथम नवक में प्रतिदिन एक-एक दत्ति भोजन की और एक-एक दत्ति पानी की ग्रहण की। इसी प्रकार आगे क्रमश: एक-एक दत्ति बढ़ाते हुए नौवें नवक में अन्न जल की नौ-नौ दत्तियां ग्रहण कीं ।
इस प्रकार यह नव-नवमिका भिक्षुप्रतिमा इक्यासी (८१) दिनों में पूर्ण हुई। इसमें भिक्षाओं की संख्या ४०५ तथा दिनों की संख्या ८१ होती है। सूत्रोक्त विधि के अनुसार नव-नवमिका भिक्षुप्रतिमा की आराधना करने के अनन्तर आर्या सुकृष्णा ने दश दशमिका नामक भिक्षुप्रतिमा की आराधना आरंभ की। दश-दशमिका भिक्षुप्रतिमा की आराधना करते समय आर्या सुकृष्णा प्रथम दशक में एक-एक दत्ति भोजन और एक-एक दत्ति पानी की ग्रहण करती है ।
१- २ - ३ वर्ग ८, सूत्र २
वर्ग ८, सूत्र ४
४.
"