Book Title: Agam 08 Ang 08 Anantkrut Dashang Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Divyaprabhashreeji, Devendramuni, Ratanmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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सप्तम वर्ग
१-१३ अध्ययन नंदा आदि
१-जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं छठुस्स वग्गस्स अयमढे पण्णत्ते, सत्तमस्स वग्गस्स के अटे पण्णत्ते?
एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं सत्तमस्स वग्गस्स तेरह अज्झयणा पण्णत्ता, तं जहासंगहणी-गाहा
१. नंदा तह २. नंदवई, ३. नंदुत्तर ४. नंदिसेणिया चेव। ५. मरुता ६. सुमरुता ७. महमरुता ८. मरुदेवा य अट्ठमा ॥१॥ ९. भद्दा य .१०. सुभद्दा य, ११. सुजाया १२. सुमणाइया। १३. भूयदिण्णा य बोधव्वा, सेणिय भजाण नामाइं॥२॥
जइ णं भत्ते! समणेणं भगवया महावीरेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं सत्तमस्स वग्गस्स तेरस अज्झयणा पण्णत्ता, पढमस्स णं भंते! अज्झयणस्स अंतगडदसाणं के अटे पण्णत्ते?
एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे। गुणसिलए चेइए। सेणिए राया, वण्णओ। तस्स णं सेणियस्स रणो नंदा नाम देवी होत्था-वण्णओ। सामी समोसढे, परिसा निग्गया। तए णं सा नंदा देवी इमीसे कहाए लद्धट्ठा हट्टतुट्ठा कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता जाणं दुरुहइ। जहा पउमावई जाव' एक्कारस अंगाइ अहिज्जित्ता वीसं वासाइं परियाओ जाव सिद्धा।
एवं तेरस वि देवीओ नंदा-गमेण नेयव्वाओ।
छडे वर्ग का अर्थ सुनने के अनन्तर आर्य जंबूस्वामी आर्य सुधर्मास्वामी से निवेदन करने लगेभगवन्! यावत् मोक्षप्राप्त श्रमण भगवान् महावीर ने अष्टम अंग अंतगडदशा के छठे वर्ग का जो अर्थ बताया है, उसका मैंने श्रवण कर लिया है, अब श्रमण यावत् मोक्षप्राप्त भगवान् महावीर ने अष्टम अंग अंतगडदशा के सातवें वर्ग का जो अर्थ कहा है, उसे सुनाने की कृपा करें।
उसके उत्तर में सुधर्मा स्वामी ने कहा-सातवें वर्गके तेरह अध्ययन कहे गये हैं, जो इस प्रकार है
गाथार्थ-(१) नन्दा (२). नन्दवती, (३). नन्दोत्तरा, (४). नन्दश्रेणिका, (५). मरुता, (६). सुमरुता, (७). महामरुता, (८). मरुद्देवा, (९). भद्रा (१०). सुभद्रा, (११). सुजाता, (१२). सुमनायिका, (१३).भूतदत्ता।ये सब श्रेणिकराजा कीरानियां थीं।ये सब श्रेणिकराजा की पत्नियों के नाम हैं।
१. वर्ग ५, सूत्र ४.६
२. वर्ग ५, सूत्र ६