Book Title: Agam 08 Ang 08 Anantkrut Dashang Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Divyaprabhashreeji, Devendramuni, Ratanmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 179
________________ १३८] [अन्तकृद्दशा ___आर्य जंबू ने सुधर्मास्वामी से पूछा-'भगवन्! प्रभु ने सातवें वर्ग के तेरह अध्ययन कहे हैं तो प्रथम अध्ययन का हे पूज्य ! श्रमण यावत् मुक्तिप्राप्त प्रभु ने क्या अर्थ कहा है?' . - आर्य सुधर्मास्वामी ने कहा- 'हे जंबू ! उस काल और उस समय में राजगृह नाम का नगर था। उसके बाहर गुणशील नामक उद्या उसके बाहर गणशील नामक उद्यान था। वहां श्रेणिक राजा राज्य करता था। यहां राजवर्णन जान लेना चाहिए। श्रेणिक राजा की नन्दा नाम की रानी थी, उसका भी वर्णन औपपातिकसूत्र के राज्ञीवर्णन के समान समझ लेना चाहिए। प्रभु महावीर राजगृह नगर के उद्यान में पधारे । परिषद् वन्दन करने को निकली। नन्दा देवी भगवान् के आने का समाचार सुनकर बहुत प्रसन्न हुई और आज्ञाकारी सेवक को बुलाकर धार्मिकरथ लाने की आज्ञा दी। पद्मावती की तरह इसने भी दीक्षा ली यावत् ग्यारह अंगों का अध्ययन किया। बीस वर्ष तक चारित्र का पालन किया, अंत में सिद्ध हुई। ... नन्दवती आदि शेष बारह अध्ययन नन्दा के समान हैं।

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