Book Title: Agam 08 Ang 08 Anantkrut Dashang Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Divyaprabhashreeji, Devendramuni, Ratanmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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अष्टम वर्ग]
[१४१ एक दिन वह काली आर्या चन्दना के समीप आयी और आकर हाथ जोड़कर कर विनयपूर्वक इस प्रकार बोली-'हे आर्ये! आपकी आज्ञा प्राप्त हो तो मैं रत्नावली तप को अंगीकार करके विचरना चाहती हूं।'
आर्या चन्दना ने कहा-'देवानुप्रिये ! जैसे सुख हो वैसा करो, प्रमाद मत करो।'
तब काली आर्या, आर्या चन्दना की आज्ञा पाकर रत्नावली तप को अंगीकार करके विचरने लगी, जो इस प्रकार है
उपवास किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, पारणा करके बेला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, पारणा करके तेला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, पारणा करके आठ बेले किए, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, पारणा करके उपवास किया, करके
कामगणयक्त पारणा किया. पारणा करके बेला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, पारणा करके तेला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, पारणा करके दशम चोला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, पारणा करके, द्वादशम-पंचोला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, पारणा करके, छह उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, पारणा करके, सात उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, पारणा करके आठ उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, पारणा कर नव उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, पारणा करके दश उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, पारणा कर ग्यारह उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, पारणा करके बारह उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, पारणा करके तेरह उपवास किये,करके सर्वकागुणयुक्त पारणा किया, पारणा करके चौदह उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, पारणा करके पन्द्रह उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके सोलह उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, पारणा करके चौतीस बेले किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, पारणा करके सोलह उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, पारणा करके पन्द्रह उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके चौदह उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके तेरह उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, पारणा करके बारह. उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, पारणा करके ग्यारह उपवास किये करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, पारणा करके, दस उपवास किये, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, पारणा करके, नव उपवास किये, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, पारणा करके, आठ उपवास किये,करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया,पारणा करके,सात उपवास किये,करके, सवेकामगुणयुक्त पारणा किया. करके छह उपवास किये. करके सर्वकामगणयुक्त पारणा किया, करके पंचोला किया करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके चोला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके तेला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके बेला किया, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, पारणा करके उपवास किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके आठ बेले किए, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके तेला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके बेला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके उपवास किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया।
इस प्रकार इस रत्नावली तपश्चरण की प्रथम परिपाटी की काली आर्या ने आराधना की।
सूत्रानुसार रत्नावली तप की इस आराधना की प्रथम परिपाटी (लड़ी) एक वर्ष तीन मास और बाईस अहोरात्र में, (यथासूत्र, अर्थानुसार, तदुभयानुसार, मार्गानुसार, कल्पानुसार सम्यक्प्रकार से काया द्वारा स्पर्श कर, पाल कर, शोधित कर, पार कर प्रशंसनीय) आराधना पूर्ण की।