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पंचम वर्ग
प्रथम अध्ययन : पद्मावती भ. अरिष्टनेमि का पदार्पणः धर्मदेशना
१-जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव' संपत्तेणं चउत्थस्स वग्गस्स अयमढे पण्णत्ते, पंचमस्स वग्गस्स अंतगडदसाणं समणेणं भगवया महावीरेणंजाव संपत्तेणं के अटे पण्णत्ते?
एवं खलु जंबू! समणेणं भगवया महावीरेणं जावरे संपत्तेणं पंचमस्स वग्गस्स दस अज्झयणा पण्णत्ता,तं जहा
(१) पउमावई य (२) गोरी (३) गंधारी (४) लक्खणा (५) सुसीमा य।
(६) जंबवई (७) सच्चभामा (८) रुप्पिणी (९) मूलसिरि (१०) मूलदत्ता वि ॥
जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं पंचमस्स वग्गस्स दस अज्झयणा पण्णत्ता, पढमस्स णं भंते! अज्झयणस्स के अटे पण्णत्ते?
एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं तेणं समएणं बारवई नयरी। जहा पढमे जाव' कण्हे वासुदेवे आहेवच्चं जाव विहरइ। तस्स णं कण्हस्स वासुदेवस्स पउमावई नामं देवी होत्था, वण्णओ।
तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहा अरिटुनेमी समोसढे जाव [अहापडिरूवं उग्गहं उगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे] विहरइ। कण्हे वासुदेवे निग्गए जाव पज्जुवासइ। तए णं सा पउमावई देवी इमीसे कहाए लद्धट्ठा समाणी हट्ठतुट्ठा जहा देवई देवी जाव पज्जुवासइ। तए णं अरहा अरिट्ठनेमी कण्हस्स वासुदेवस्स पउमावईए य, जाव धम्मकहा। परिसा पडिगया।
आर्य जंबू स्वामी ने आर्य सुधर्मा स्वामी से निवेदन किया- भगवन्! यावत् मोक्षप्राप्त श्रमण भगवान् महावीर ने यदि अन्तगडसूत्र के चतुर्थ वर्ग का यह अर्थ वर्णन किया है, तो भगवन् ! यावत् मोक्षप्राप्त श्रमण भगवान् महावीर ने अन्तगडसूत्र के पंचम वर्ग का क्या अर्थ प्रतिपादन किया है?
उत्तर में आर्य सुधर्मा स्वामी बोले-हे जंबू! यावत् मोक्ष प्राप्त श्रमण भगवान् महावीर ने अन्तगडसूत्र के पंचम वर्ग के दस अध्ययन बताए हैं। उनके नाम इस प्रकार हैं
(१) पद्मावती देवी (२) गौरी देवी (३) गान्धारी देवी (४) लक्ष्मणा देवी (५) सुसीमा देवी (६) जाम्बवती देवी (७) सत्यभामा देवी (८) रुक्मिणी देवी (९) मूलश्री देवी और (१०) मूलदत्ता देवी।
जम्बू स्वामी ने पुनः पूछा- भंते ! श्रमण भगवान् महावीर ने पंचम वर्ग के दस अध्ययन कहे हैं तो प्रथम अध्ययन का क्या अर्थ कहा है? सुधर्मा स्वामी ने कहा
हे जंबू! उस काल उस समय में द्वारका नाम की एक नगरी थी, जिसका वर्णन प्रथम अध्ययन में
१-४. प्रथम वर्ग, सूत्र २. ७. तृतीय वर्ग, सूत्र १८
५. प्रथम वर्ग सूत्र ५, ६. ६. प्रथम वर्ग, सूत्र ६. ८. तृतीय वर्ग, सूत्र ९.