Book Title: Agam 08 Ang 08 Anantkrut Dashang Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Divyaprabhashreeji, Devendramuni, Ratanmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[अन्तकृद्दशा उत्तम इभ्य-कन्याओं का एक ही दिन पाणिग्रहण कराया।
विवाह के अनन्तर वह नाग गाथापति अनीयस कुमार को प्रीतिदान देते समय बत्तीस करोड़ चांदी के सिक्के तथा महाबल कुमार की तरह अन्य बत्तीस प्रकार की अनेकों वस्तुएं यावत् बत्तीस कोटि सोनये, बत्तीस श्रेष्ठ मुकुट, बत्तीस श्रेष्ठ कुंडलयुगल, बत्तीस उत्तम हार, बत्तीस उत्तम अर्द्धहार, बत्तीस उत्तम एकसरा हार, बत्तीस मुक्तावली हार, बत्तीस कनकावली हार, बत्तीस रत्नावली हार, बत्तीस उत्तम कड़ों की जोड़ी, बत्तीस उत्तम त्रुटित (बाजूबन्द) की जोड़ी, बत्तीस उत्तम रेशमी वस्त्र युगल, बत्तीस पट्टयुगल, बत्तीस दुकूल युगल, बत्तीस श्री, बत्तीस ही, बत्तीस धी, बत्तीस कीर्ति, बत्तीस बुद्धि और बत्तीस लक्ष्मी देवियों की प्रतिमा, बत्तीस नन्द, बत्तीस भद्र, बत्तीस तल-ताड़वृक्ष दिये। ये सब रत्नमय जानने चाहिए। अपने भवन में केतु, बत्तीस उत्तम ध्वज, दश हजार गायों के एक व्रज (गोकुल) के हिसाब से बत्तीस उत्तम गोकुल, बत्तीस मनुष्यों द्वारा किया जान वाला एक नाटक होता है-ऐसे बत्तीस उत्तम नाटक, बत्तीस उत्तम घोड़े (ये सब रत्नमय जानने चाहिए), भाण्डागार समान बत्तीस रत्नमय उत्तमोत्तम हाथी, श्रीघर (भाण्डागार), समान सर्व रत्नमय बत्तीस उत्तम यान, बत्तीस उत्तम युग्य (एक प्रकार का वाहन) बत्तीस शिविका, बत्तीस स्यन्दमानिका, बत्तीस गिल्ली (हाथी की अम्बाडी), बत्तीस थिल्लि (घोड़े का पलाणकाठी), बत्तीस उत्तम विकट (खुले हुए) यान, बत्तीस पारियानिक (क्रीडा करने के) रथ, बत्तीस उत्तम अश्व, बत्तीस उत्तम हाथी, दस हजार कुल-परिवार जिसमें रहते हों ऐसे बत्तीस गाँव, बत्तीस उत्तम दास, बत्तीस उत्तम दासियाँ, बत्तीस उत्तम किंकर, बत्तीस कंचुकी (द्वाररक्षक) बत्तीस वर्षधर (अन्तःपुर के रक्षक खोजा), बत्तीस महत्तरक (अन्तःपुर के कार्य का विचार करने वाले) बत्तीस सोने के, बत्तीस चाँदी के और बत्तीस सोने-चांदी के अवलम्बन दीपक (लटकने वाले दीपक-हण्डियाँ), बत्तीस सोने के, बत्तीस चाँदी के, बत्तीस सोना-चांदी के उत्कञ्चन दीपक(दण्डयुक्त दीपक-मशाल) इसी प्रकार सोना, चाँदी
और सोना-चाँदी, इन तीनों प्रकार के बत्तीस पञ्जर दीपक। सोना, चाँदी और सोना-चाँदी के बत्तीस थाल, बत्तीस थालियाँ, बत्तीस मल्लक (कटोरे) बत्तीस तालिका (रकाबियाँ) बत्तीस कलाचिका (चम्मच), बत्तीस तापिका-हस्तक (संडासियाँ) बत्तीस तवे, बत्तीस पादपीठ (पैर रखने के बाजोठ) बत्तीस भिषिका (आसनविशेष) बत्तीस करोटिका (लोटा), बत्तीस पलंग, बत्तीस प्रतिशय्या (छोटे पलंग), बत्तीस हंसासन, बत्तीस क्रौंचासन,बत्तीस गरुडासन, बत्तीस उन्नतासन, बत्तीस अवनतासन, बत्तीस दीर्घासन, बत्तीस भद्रासन, बत्तीस पक्षासन, बत्तीस. मकरासन, बत्तीस पद्मासन, बत्तीस दिक्स्वस्तिकासन, बत्तीस तेल के डिब्बे इत्यादि सभी राजप्रश्नीय सूत्र के अनुसार जानना चाहिए यावत् बत्तीस सर्षप के डिब्बे, बत्तीस कुब्जा दासियाँ इत्यादि सभी औपपातिक सूत्र के अनुसार जानना चाहिये, यावत् बत्तीस पारस देश की दासियाँ, बत्तीस छत्र, बत्तीस छत्रधारिणी दासियाँ, बत्तीस चामर, बत्तीस चामरधारिणी दासियाँ, बत्तीस पंखे, बत्तीस पंखाधारिणी दासियाँ, बत्तीस करोटिका (ताम्बूल के करण्डिये) बत्तीस करोटिकाधारिणी दासियाँ, बत्तीस धात्रियाँ (दूध पिलाने वाली धाय), यावत् बत्तीस अंक-धात्रियाँ, बत्तीस अंगमर्दिका (शरीर का मर्दन करने वाली दासियाँ) बत्तीस स्नान करानेवाली दासियाँ, बत्तीस अलंकार पहनाने वाली दासियाँ, बत्तीस चन्दन घिसने वाली दासियाँ, बत्तीस ताम्बूल-चूर्ण पीसने वाली, बत्तीस कोष्ठागार की रक्षा करने वाली, बत्तीस परिहास करने वाली, बत्तीस सभा में पास रहने वाली, बत्तीस नाटक करने वाली, बत्तीस कौटुंबिक (साथ रहने वाली), बत्तीस रसोई बनाने वाली, बत्तीस भण्डार की रक्षा करने वाली, बत्तीस तरुणियाँ, बत्तीस पुष्प धारण करने वाली, बत्तीस बलिकर्म करने वाली, बत्तीस शय्या बिछाने वाली, बत्तीस आभ्यन्तर और बत्तीस बाह्य प्रतिहारियाँ, बत्तीस माला बनाने वाली और बत्तीस पेषण करने वाली दासियाँ दीं। इसके