Book Title: Agam 08 Ang 08 Anantkrut Dashang Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Divyaprabhashreeji, Devendramuni, Ratanmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text
________________
२८]
[अन्तकृद्दशा उपदेश देते हैं या गणधर देव पहले पहल अर्थ को सूत्र रूप में गूंथते हैं उसे पूर्व कहते हैं। ये पूर्व १४ हैं, जो इस प्रकार हैं
१. उत्पाद पूर्व-इस पूर्व में सभी द्रव्यों और सभी पर्यायों के उत्पाद को लेकर प्ररूपणा की गई
२.अग्रायणी पूर्व-इस में सभी द्रव्यों, सभी पर्यायों और सभी जीवों के परिमाण का वर्णन है।
३. वीर्य-प्रवाद पूर्व-इस में कर्म-सहित और कर्म-रहित जीवों तथा अजीवों के वीर्य (शक्ति ) का वर्णन है।
४. अस्ति-नास्ति-प्रवाद पूर्व-संसार में धर्मास्तिकाय आदि जो वस्तुएँ विद्यमान हैं तथा आकाश-कुसुम आदि जो अविद्यमान हैं, उन सब का वर्णन इस पूर्व में है।
५. ज्ञानप्रवाद पूर्व-इस में मतिज्ञान आदि पंचविध ज्ञानों का विस्तृत वर्णन है। ६. सत्यप्रवाद पूर्व- इस में सत्यरूप संयम का या सत्य वचन का विस्तृत विवेचन किया गया
other
७. आत्मप्रवाद पूर्व- इस में अनेक नयों तथा मतों की अपेक्षा से आत्मा का वर्णन है।
८. कर्मप्रवाद पूर्व-इसमें आठ कर्मों का निरूपण प्रकृति, स्थिति, अनुभाग और प्रदेश आदि भेदों द्वारा विस्तृत रूप में किया गया है।
९. प्रत्याख्यानप्रवाद पूर्व-इस में प्रत्याख्यानों का भेद-प्रभेदपूर्वक वर्णन है। १०. विद्यानुवाद पूर्व- इस में अनेक विद्याओं एवं मंत्रों का वर्णन है।
११. अवन्ध्य पूर्व-इस में ज्ञान, तप, संयम आदि शुभ फल वाले तथा प्रमाद आदि अशुभ फल वाले. निष्फल न जाने वाले कार्यों का वर्णन है।
१२. प्राणायुष्यप्रवाद पूर्व- इस में दस प्राण और आयु आदि का भेद-प्रभेदपूर्वक विस्तृत वर्णन
१३. क्रियाविशाल पूर्व–इसमें कायिकी आधिकरणिकी आदि तथा संयम में उपकारक क्रियाओं का वर्णन है।
१४. लोकबिन्दुसार-पूर्व-श्रुतज्ञान में जो शास्त्र बिन्दु की तरह सबसे श्रेष्ठ है, वह लोकबिन्दुसार है।