Book Title: Agam 08 Ang 08 Anantkrut Dashang Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Divyaprabhashreeji, Devendramuni, Ratanmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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६६]
__ [अन्तकृद्दशा तए णं तस्स गयकुमारस्स पिया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सहावित्ता एवं वयासीखिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! अणेगखंभसयसण्णिविटुं, लीलट्ठियसालभंजियागं जहा रायप्पसेणइज्जे विमाण-वण्णओ, जाव मणिरयणघंटियाजालपरिक्खित्तं पुरिससहस्सवाहिणिं सीयं उवट्ठवेह, उवट्ठवेत्ता मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह। तए णं ते कोडुंबियपुरिसा जाव पच्चप्पिणंति। तए णं से गयसुकुमाले कुमारे केसालंकारेणं, वत्थालंकारेणं, मल्लालंकारेणं, आभरणालंकारेणं चउव्विहेणं अलंकारेणं अलंकारिए समाणे पडिपुण्णालंकारे सीहासणाओ अब्भुटेइ सीहासणाओ अब्भुट्ठित्ता सीयं अणुप्पदाहिणी करेमाणे सीयं दुरूहइ, दुरूहित्ता सीहासणवरंसि पुरत्थाऽभिमुहे सण्णिसण्णे।
तए णं तस्स गयकुमारस्स माया ण्हाया कयबलिकम्मा जाव सरीरा हंसलक्खणं पडसाडगं गहाय सीयं अणुप्पदाहिणी करेमाणी सीयं दुरूहइ, दुरूहित्ता गयसुकुमालस्स कुमारस्स दाहणे पासे भद्दासणवरंसि सण्णिसण्णा। तए णं तस्स गयसुकुमालस्स कुमारस्स अम्मधाई ण्हाया जाव सरीरा, रयहरणं पडिग्गहं च गहाय सीहं अणुप्पदाहिणी करेमाणी सीयं दुरूहइ, सीयं दुरूहित्ता गयसुकुमालस्स कुमारस्स वामे पासे भद्दासणवरंसि सण्णिसण्णा। तए णं तस्स गयसुंकुमालस्स पिट्ठओ एगा वरतरुणी सिंगारागारचारुवेसा संगयगय जाव रूप-जोव्वण-विलासकलिया सुंदरथण० हिम-रयय-कुमुद-कुंदेन्दुप्पगासं सकोरंटमल्लदामं धवलं आयवत्तं गहाय सलीलं उवरि धारेमाणी धारेमाणी चिट्ठइ। तए णं तस्स गयसुकुमालस्स उभओ पासिं दुवे वरतरुणीओ सिंगारागारचारु जाव कलियाओ, णाणामणि-कणग-रयण-विमल-महरिहतवणिज्जुज्जलविचित्त-दंडाओ, चिल्लियाओ, संखंक-कुन्देन्दु-दगरय-अमयमहियफेणपुंजसण्णिकासाओ धवलाओ चामराओ गहाय सलीलं वीयमाणीओ वीयमाणीओ चिटुंति। तए णं तस्स गयसुकुमालस्स उत्तरपुरस्थिमेणं एगा वरतरुणी सिंगारगार जाव कलिया सेय रययामयं विमलसलिलपुण्णं मत्तगयमहामुहाकिइसमाणं भिंगारं गहाय चिट्ठइ। तए णं तस्स गयसुकुमालस्स दाहिणपुरस्थिमेणं एगा वरतरुणी सिंगारागार जाव कलिया चित्तकणगदंडं तालवेंट गहाय चिट्ठइ।
तए णं तस्स गयसुकुमाल-कुमारस्स पिया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! सरिसयं, सरित्तयं, सरिव्वयं, सरिसलावण्ण-रूव-जोव्वणगुणोववेयं, एगाभरण-वसणगहियणिज्जोयं कोडुंबियवरतरुणसहस्सं सद्दावेह। तए णं ते कोडुंबियपुरिसा जाव पडिसुणित्ता खिप्पामेव सरिसयं सरित्तयं जाव सद्दावेंति। तए णं ते कोडुंबियपुरिसा हट्ठतुट्ठ ण्हाया, कयबलिकम्मा, कयकोउय-मंगल-पायच्छित्ता एगाभरण-वसणगहिय-णिज्जोया जेणेव गयकुमारस्स पिया तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करयल जाव वद्धावित्ता एवं वयासी-संदिसंतु णं देवाणुप्पिया! जं अम्हेहिं करणिज्ज। तए णं से गयकुमारस्स पिया तं कोडुंबियवरतरुण सहस्सं पि एवं वयासी-तुब्भे णं देवाणुप्पिया! बहाया कयबलिकम्मा जाव गहियणिज्जोआ गयसुकुमालस्स कुमारस्स सीयं परिवहेह। तए णं ते कोडुंबियपुरिसा गयसुकुमालस्स जाव पडिसुणित्ता बहाया जाव गहियणिज्जोआ गयसुकुमालस्स कुमारस्स पुरिससहस्सवाहिणिं सीयं परिवहंति।
तए णं गयसुकुमालस्स कुमारस्स पुरिससहस्सवाहिणिं सीयं दुरूढस्स समाणस्स तप्पढमयाए
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