Book Title: Agam 05 Bhagwati Sutra Part 01 Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar
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आगम सूत्र ५, अंगसूत्र-५, 'भगवती/व्याख्याप्रज्ञप्ति-1'
शतक/शतकशतक/उद्देशक/ सूत्रांक अथवा सब भागों को आश्रय करके उत्पन्न होता है ? गौतम ! नारक जीव एक भाग से एक भाग को आश्रित करके उत्पन्न नहीं होता; एक भाग से सर्वभाग को आश्रित करके भी उत्पन्न नहीं होता, और सर्वभाग से एक भाग को आश्रित करके भी उत्पन्न नहीं होता; किन्तु सर्वभाग से सर्वभाग को आश्रित करके उत्पन्न होता है । नारकों के समान वैमानिकों तक इसी प्रकार समझना चाहिए। सूत्र-८०
नारकों में उत्पन्न होता हुआ नारक जीव क्या एक भाग से एक भाग को आश्रित करके आहार करता है, एक भाग से सर्वभाग को आश्रित करके आहार करता है, सर्वभागों से एक भाग को आश्रित करके आहार करता है, अथवा सर्वभागों से सर्वभागों को आश्रित करके आहार करता है ? गौतम ! वह एक भाग से एक भाग को आश्रित करके आहार नहीं करता, एक भाग से सर्वभाग को आश्रित करके आहार नहीं करता, किन्तु सर्वभागों से एक भाग को आश्रित करके आहार करता है, अथवा सर्वभागों से सर्वभागों को आश्रित करके आहार करता है। नारकों के समान ही वैमानिकों तक इसी प्रकार जानना।
भगवन् ! नारकों में से - नीकलता हुआ नारक जीव क्या एक भाग से एक भाग को आश्रित करके नीकलता है ? इत्यादि पूर्ववत् प्रश्न | गौतम ! जैसे उत्पन्न होते हुए नैरयिक आदि के विषय में कहा था, वैसे ही उद्-वर्तमान नैरयिक आदि के विषय में दण्डक कहना । भगवन् ! नैरयिकों से उद्वर्तमान नैरयिक क्या एक भाग से एक भाग को आश्रित करके आहार करता है ? इत्यादि प्रश्न पूर्ववत् । गौतम ! यह भी पूर्वसूत्र के समान जानना; यावत् सर्वभागों से एक भाग को आश्रित करके आहार करता है, अथवा सर्वभागों से सर्वभागों को आश्रित करके आहार करता है। इसी प्रकार यावत् वैमानिकों तक जानना चाहिए । भगवन् ! नारकों में उत्पन्न हुआ नैरयिक क्या एक भाग से एक भाग को आश्रित करके उत्पन्न हुआ है ? इत्यादि प्रश्न पूर्ववत् । गौतम ! यह दण्डक भी उसी प्रकार जानना, यावत्-सर्वभाग से सर्वभाग को आश्रित करके उत्पन्न होता है। उत्पद्यमान और उद्वर्तमान के समान उत्पन्न और उद्वृत्त के विषय में भी चार दण्डक कहने चाहिए।
भगवन् ! नैरयिकों में उत्पन्न होता हुआ नारक जीव क्या अर्द्ध भाग की आश्रित करके उत्पन्न होता है ? या अर्द्धभाग से सर्वभाग को आश्रित करके उत्पन्न होता है ? अथवा सर्वभाग से अर्द्ध भाग को आश्रित करके उत्पन्न होता है ? या सर्वभाग से सर्वभाग को आश्रित करके उत्पन्न होता है ? गौतम ! जैसे पहलेवालों के साथ आठ दण्डक कहे हैं, वैसे ही अर्द्ध के साथ भी आठ दण्डक कहने चाहिए । विशेषता इतनी है कि जहाँ एक भाग से एक को आश्रित करके उत्पन्न होता है, ऐसा पाठ आए, वहाँ अर्द्ध भाग से अर्द्ध भाग को आश्रित करके उत्पन्न होता है, ऐसा पाठ बोलना चाहिए । बस यही भिन्नता है । ये सब मिलकर कुल सोलह दण्डक होते हैं। सूत्र-८१
भगवन् ! क्या जीव विग्रहगतिसमापन्न-विग्रहगति को प्राप्त होता है, अथवा विग्रहगतिसमापन्न-विग्रहगति को प्राप्त नहीं होता ? गौतम ! कभी (वह) विग्रहगति को प्राप्त होता है, और कभी विग्रहगति को प्राप्त नहीं होता । इसी प्रकार वैमानिकपर्यन्त जानना चाहिए।
भगवन् ! क्या बहुत से जीव विग्रहगति को प्राप्त होते हैं अथवा विग्रहगति को प्राप्त नहीं होते ? गौतम ! बहुत से जीव विग्रहगति को प्राप्त होते हैं और बहुत से जीव विग्रहगति को प्राप्त नहीं भी होते । भगवन् ! क्या नैरयिक विग्रहगति को प्राप्त होते हैं या विग्रहगति को प्राप्त नहीं होते ? गौतम ! (कभी) वे सभी विग्रहगति को प्राप्त नहीं होते, अथवा (कभी) बहुत से विग्रहगति को प्राप्त नहीं होते और कोई-कोई विग्रहगति को प्राप्त नहीं होता, अथवा (कभी) बहुत से जीव विग्रहगति को प्राप्त नहीं होते और बहुत से (जीव) विग्रहगति को प्राप्त होते हैं। यों जीव सामान्य और एकेन्द्रिय को छोड़कर सर्वत्र इसी प्रकार तीन-तीन भंग कहने चाहिए। सूत्र-८२
भगवन् ! महान् ऋद्धि वाला, महान् द्युति वाला, महान् बल वाला, महायशस्वी, महाप्रभावशाली, मरण काल
मुनि दीपरत्नसागर कृत् "(भगवती) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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