Book Title: Agam 05 Bhagwati Sutra Part 01 Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar
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आगम सूत्र ५, अंगसूत्र-५, 'भगवती/व्याख्याप्रज्ञप्ति-1'
शतक/ शतकशतक/उद्देशक/ सूत्रांक प्रकार वैरोचनेन्द्र बलि के लोकपाल वैश्रमण तक सारा वर्णन पूर्ववत् जानना।
भगवन् ! नागकुमारेन्द्र नागकुमारराज धरण की कितनी अग्रमहिषियाँ कही गई हैं ? आर्यो ! छह अग्रमहिषियाँ हैं । यथा-इला, शुक्रा, सतारा, सौदामिनी, इन्द्रा और घनविद्युत । उनमें से प्रत्येक अग्रमहिषी के छह-छह हजार देवियों का परिवार कहा गया है । इनमें से प्रत्येक देवी, अन्य छह-छह हजार देवियों के परिवार की विकुर्वणा कर सकती हैं । इस प्रकार पूर्वापर सब मिलाकर छत्तीस हजार देवियों का यह त्रुटिक (वर्ग) कहा गया है । भगवन्! क्या धरणेन्द्र यावत् भोग भोगने में समर्थ है? इत्यादि प्रश्न । पूर्ववत् समग्र कथन जानना चाहिए। विशेष इतना ही है कि राजधानी धरणा में धरण नामक सिंहासन पर स्वपरिवार...शेष पूर्ववत् । भगवन् ! नागकुमारेन्द्र धरण के लोकपाल कालवाल नामक महाराजा की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? आर्यो ! चार अग्रमहिषियाँ हैं, यथा-अशोका, विमला, सुप्रभा, सुदर्शना । इनमें से एक-एक देवी का परिवार आदि वर्णन चमरेन्द्र के लोकपाल के समान समझना चाहिए । इसी प्रकार (धरणेन्द्र के) शेष तीन लोकपालों के विषय में भी कहना।
भगवन् ! भूतानन्द की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? हे आर्यो ! छह यथा-रूपा, रूपांशा, सुरूपा, रूपकावती रूपकान्ता और रूपप्रभा । इनमें से प्रत्येक देवी-अग्रमहिषी के परिवार आदि का तथा शेष वर्णन धरणेन्द्र के समान जानना । भगवन् ! भूतानन्द के लोकपाल नागवित्त के कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? इत्यादि पच्छा । आर्यो ! चार हैं। सुनन्दा, सुभद्रा, सुजाता और सुमना । इसमें प्रत्येक देवी के परिवार आदि का शेष वर्णन चमरेन्द्र के लोकपाल के समान जानना । इसी प्रकार शेष तीन लोकपालों का वर्णन भी जानना।
जो दक्षिणदिशावर्ती इन्द्र हैं, उनका कथन धरणेन्द्र के समान तथा उनके लोकपालों का कथन धरणेन्द्र के लोकपालों के समान जानना चाहिए । उत्तरदिशावर्ती इन्द्रों का कथन भूतानन्द के समान तथा उनके लोकपालों का कथन भी भूतानन्द के लोकपालों के समान जानना चाहिए । विशेष इतना है कि सब इन्द्रों की राजधानियों और उनके सिंहासनों का नाम इन्द्र के नाम के समान जानना चाहिए। उनके परिवार का वर्णन भगवती सूत्र के तीसरे शतक के प्रथम मोक उद्देशक में कहे अनुसार जानना चाहिए। सभी लोकपालों की राजधानियों और उनके सिंहासनों का नाम लोकपालों के नाम के सदृश जानना चाहिए तथा उनके परिवार का वर्णन चमरेन्द्र के लोकपालों के परिवार के वर्णन के समान जानना चाहिए।
भगवन् ! पिशाचेन्द्र पिशाचराज काल की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? आर्यो ! चार, यथा-कमला, कमल-प्रभा, उत्पला और सुदर्शना । इनमें से प्रत्येक देवी के एक-एक हजार देवियों का परिवार है। शेष समग्र वर्णन चमरेन्द्र के लोकपालों के समान एवं परिवार का कथन भी उसी के परिवार के सदृश करना । विशेष इतना है कि इसके काला नाम की राजधानी और काल नामक सिंहासन है । शेष पूर्ववत् । इसी प्रकार पिशाचेन्द्र महाकाल का एतद्विषयक वर्णन भी इसी प्रकार समझना । भगवन् ! भूतेन्द्र भूतराज सुरूप की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? आर्यो! चार, यथारूपवती, बहुरूपा, सुरूपा और सुभगा । प्रत्येक देवी के परिवार आदि का वर्णन कालेन्द्र के समान है । इसी प्रकार प्रतिरूपेन्द्र के विषय में भी जानना चाहिए।
भगवन् ! यक्षेन्द्र यक्षराज पूर्णभद्र की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? आर्यो ! चार । यथा-पूर्णा, बहुपत्रिका, उत्तमा और तारका । प्रत्येक के परिवार आदि का वर्णन कालेन्द्र के समान है। इसी प्रकार माणिभद्र के विषय में भी जान लेना । भगवन् ! राक्षसेन्द्र राक्षसराज भीम के कितनी अग्रमहिषियाँ कही गई हैं ? आर्यो ! चार । यथा-पद्मा, पद्मावती, कनका और रत्नप्रभा । प्रत्येक के परिवार आदि का वर्णन कालेन्द्र के समान है। इसी प्रकार महाभीम (राक्षसेन्द्र) के विषय में भी जानना।
भगवन् ! किन्नरेन्द्र की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? आर्यो ! चार अग्रमहिषियाँ हैं, यथा-अवतंसा, केतुमती, रतिसेना और रतिप्रिया । प्रत्येक अग्रमहिषी के देवी-परिवार के लिए पूर्ववत् जानना चाहिए । इसी प्रकार किम्पुरुपेन्द्र के विषय में कहना चाहिए । भगवन् ! सत्पुरुषेन्द्र की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? आर्यो ! चार अग्रमहिषियाँ हैं, यथा-रोहिणी, नवमिका, ह्री और पुष्पवती । इनके देवी-परिवार का वर्णन पूर्वोक्तरूप से जानना चाहिए । इसी प्रकार
मुनि दीपरत्नसागर कृत् "(भगवती) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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