Book Title: Agam 05 Bhagwati Sutra Part 01 Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar
View full book text
________________
आगम सूत्र ५, अंगसूत्र-५, 'भगवती/व्याख्याप्रज्ञप्ति-1'
शतक/शतकशतक/उद्देशक/ सूत्रांक उत्पन्न होता है; मनुष्य की आयु बाँधकर मनुष्यों में उत्पन्न होता है अथवा देव की आयु बाँधकर देवलोक में उत्पन्न होता है ? गौतम ! एकान्त बाल मनुष्य नारक की भी आयु बाँधता है, तिर्यंच की भी आयु बाँधता है, मनुष्य की भी आयु बाँधता है और देव की भी आयु बाँधता है; तथा नरकायु बाँधकर नैरयिकों में उत्पन्न होता है, तिर्यंचायु बाँधकर तिर्यंचों में उत्पन्न होता है, मनुष्यायु बाँधकर मनुष्यों में उत्पन्न होता है और देवायु बाँधकर देवों में उत्पन्न होता है। सूत्र-८६
___ भगवन् ! एकान्तपण्डित मनुष्य क्या नरकायु बाँधता है ? या यावत् देवायु बाँधता है ? और यावत् देवायु बाँधकर देवलोक में उत्पन्न होता है ? हे गौतम ! एकान्तपण्डित मनुष्य, कदाचित् आयु बाँधता है और कदाचित् आयु नहीं बाँधता । यदि आय बाँधता है तो देवाय बाँधता है, किन्तु नरकाय, तिर्यंचायु और मनुष्याय नहीं बाँधता । वह नरकाय नहीं बाँधने से नारकों में उत्पन्न नहीं होता, इसी प्रकार तिर्यंचाय न बाँधने से तिर्यंचों में उत्पन्न नहीं होता मनुष्यायु न बाँधने से मनुष्यों में भी उत्पन्न नहीं होता; किन्तु देवायु बाँधकर देवों में उत्पन्न होता है । भगवन् ! इसका क्या कारण है कि...यावत्-देवायु बाँधकर देवों में उत्पन्न होता है ? गौतम ! एकान्तपण्डित मनुष्य की केवल दो गतियाँ कही गई हैं । वे इस प्रकार हैं-अन्तक्रिया और कल्पोपपत्तिका । इस कारण हे गौतम ! एकान्तपण्डित मनुष्य देवायु बाँधकर देवों में उत्पन्न होता है।
भगवन् ! क्या बालपण्डित मनुष्य नरकायु बाँधता है, यावत्-देवायु बाँधता है ? और यावत्-देवायु बाँधकर देवलोक में उत्पन्न होता है ? गौतम ! वह नरकायु नहीं बाँधता और यावत् देवायु बाँधकर देवों में उत्पन्न होता है । भगवन् ! इसका क्या कारण है कि-बालपण्डित मनुष्य यावत् देवायु बाँधकर देवों में उत्पन्न होता है ? गौतम ! बालपण्डित मनुष्य तथारूप श्रमण या माहन के पास से एक भी आर्य तथा धार्मिक सुवचन सूनकर, अवधारण करके एकदेश से विरत होता है, और एकदेश से विरत नहीं होता । एकदेश से प्रत्याख्यान करता है और एकदेश से प्रत्याख्यान नहीं करता । इसलिए हे गौतम ! देश-विरति और देश-प्रत्याख्यान के कारण वह नरकायु, तिर्यंचायु और मनुष्यायु का बन्ध नहीं करता और यावत्-देवायु बाँधकर देवों में उत्पन्न होता है । इसलिए पूर्वोक्त कथन किया गया है सूत्र-८७
भगवन् ! मृगों से आजीविका चलाने वाला, मृगों का शिकारी, मृगों के शिकार में तल्लीन कोई पुरुष मृगवध के लिए नीकला हुआ कच्छ में, द्रह में, जलाशय में, घास आदि के समूह में, वलय में, अन्धकारयुक्त प्रदेश में, गहन में,
त के एक भागवर्ती वन में, पर्वत पर पर्वतीय दुर्गम प्रदेश में, वन में, बहत-से वक्षों से दुर्गम वन में, ये मग है, ऐसा सोचकर किसी मृग को मारने के लिए कूटपाश रचे तो हे भगवन् ! वह पुरुष कितनी क्रियाओं वाला कहा गया है ? हे गौतम ! वह पुरुष कदाचित् तीन क्रिया वाला, कदाचित् चार क्रियाओं वाला और कदाचित् पाँच क्रिया वाला होता है।
भगवन् ! किस कारण से ऐसा कहा जाता है कि वह पुरुष कदाचित् तीन क्रियाओं यावत् पाँच क्रियाओं वाला होता है ? गौतम ! जब तक वह पुरुष जाल को धारण करता है और मृगों को बाँधता नहीं है तथा मृगों को मारता नहीं है, तब तक वह पुरुष कायिकी, आधिकरणिकी और प्राद्वेषिकी, इन तीन क्रियाओं से स्पृष्ट होता है । जब तक वह जाल को धारण किये हुए है और मृगों को बाँधता है किन्तु मारता नहीं; तब तक वह पुरुष कायिकी आधिकरणिकी, प्राद्वेषिकी, और पारितापनिकी, इन चार क्रियाओं से स्पृष्ट होता है । जब वह पुरुष जाल को धारण किये हुए हैं, मृगों को बाँधता है और मारता है, तब वह कायिकी, आधिकरणिकी, प्राद्वेषिकी, पारितपनिकी और प्राणातिपातिकी इन पाँचों क्रियाओं से स्पृष्ट होता है । इस कारण हे गौतम ! वह पुरुष कदाचित् तीन क्रियाओं वाला, कदाचित् चार क्रियाओं वाला और कदाचित् पाँचों क्रियाओं वाला कहा जाता है। सूत्र-८८
__भगवन् ! कच्छ में यावत्-वनविदुर्ग में कोई पुरुष घास के तिनके इकट्ठे करके उनमें अग्नि डाले तो वह पुरुष कितनी क्रिया वाला होता है ? गौतम ! वह परुष कदाचित तीन क्रियाओं वाला, कदाचित् चार क्रियाओं वाला और कदाचित् पाँच क्रियाओं वाला होता है । भगवन् ! किस कारण से ऐसा कहा जाता है ? गौतम ! जब तक वह पुरुष
मुनि दीपरत्नसागर कृत् "(भगवती) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
Page 30