Book Title: Agam 05 Bhagwati Sutra Part 01 Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar
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आगम सूत्र ५, अंगसूत्र-५, 'भगवती/व्याख्याप्रज्ञप्ति-1' शतक/ शतकशतक/उद्देशक/ सूत्रांक हैं, वे आभिनिबोधिकज्ञानी और श्रुतज्ञानी होते हैं, जो तीन ज्ञान वाले होते हैं, वे आभिनिबोधिकज्ञानी, श्रुतज्ञानी और अवधिज्ञानी होते हैं । चारित्राचारित्रलब्धि-रहित जीवों में पाँच ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं । दानलब्धिमान जीवों में पाँच ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं । भगवन् ! दानलब्धिरहित जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? गौतम ! वे ज्ञानी होते हैं, अज्ञानी नहीं । उनमें नियम से एकमात्र केवलज्ञान होता है।
इसी प्रकार यावत् वीर्यलब्धियुक्त और वीर्यलब्धि-रहित जीवों का कथन करना । बालवीर्यलब्धियुक्त जीवों में तीन ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से पाए जाते हैं । बालवीर्यलब्धि-रहित जीवों में पाँच ज्ञान भजना से होते हैं। पण्डितवीर्यलब्धिमान जीवों में पाँच ज्ञान भजना से पाए जाते हैं । पण्डितवीर्यलब्धि-रहित जीवों में मनःपर्यवज्ञान के सिवाय चार ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से पाए जाते हैं । भगवन् ! बालपण्डितवीर्यलब्धि वाले जीव ज्ञानी हैं, या अज्ञानी ? गौतम ! उनमें तीन ज्ञान भजना से होते हैं । बालपण्डितवीर्यलब्धिरहित जीवों पाँच ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से पाए जाते हैं।
भगवन् ! इन्द्रियलब्धिमान जीव ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी ? गौतम ! उनमें चार ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं। भगवन ! इन्द्रियलब्धिरहित जीव ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी ? गौतम ! वे ज्ञानी होते हैं, अज्ञानी नहीं। वे नियमतः एकमात्र केवलज्ञानी होते हैं । श्रोत्रेन्द्रियलब्धियुक्त जीवों का कथन इन्द्रियलब्धि वाले जीवों की तरह करना चाहिए । भगवन् ! श्रोत्रेन्द्रियलब्धि-रहित जीव ज्ञानी होते हैं, या अज्ञानी ? गौतम ! वे ज्ञानी भी होते हैं और अज्ञानी भी होते हैं । जो ज्ञानी होते हैं, उनमें से कईं दो ज्ञान वाले होते हैं और कईं एक ज्ञान वाले होते हैं। जो दो ज्ञान वाले होते हैं, वे आभिनिबोधिकज्ञानी और श्रुतज्ञानी होते हैं । जो एक ज्ञान वाले होते हैं, वे केवलज्ञानी होते हैं । जो अज्ञानी होते हैं, वे नियमतः दो अज्ञान वाले होते हैं यथा-मति-अज्ञान और श्रुत-अज्ञान । चक्षुरिन्द्रिय और घ्राणेन्द्रियलब्धि सहित या रहित जीवों का कथन श्रोत्रेन्द्रियलब्धि जीवों के समान करना चाहिए । जिह्वेन्द्रियलब्धि वाले जीवों में चार ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं । भगवन् ! जिह्वेन्द्रियलब्धिरहित जीव ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी ? गौतम ! वे ज्ञानी भी होते हैं, अज्ञानी भी होते हैं । जो ज्ञानी होते हैं, वे नियमतः एकमात्र केवलज्ञान वाले होते हैं, और जो अज्ञानी होते हैं, वे नियमतः दो अज्ञान वाले होते हैं, यथा-मति-अज्ञान और श्रुत-अज्ञान । स्पर्श-न्द्रियलब्धियुक्त या रहित जीवों का कथन इन्द्रियलब्धि जीवों के समान करना चाहिए। सूत्र - ३९४
भगवन् ! साकारोपयोगयुक्त जीव ज्ञानी होते हैं, या अज्ञानी ? गौतम ! वे ज्ञानी भी होते हैं, अज्ञानी भी होते हैं, जो ज्ञानी होते हैं, उनमें पाँच ज्ञान भजना से पाए जाते हैं और जो अज्ञानी होते हैं, उनमें तीन अज्ञान भजना से पाए जाते हैं । भगवन् ! आभिनिबोधिकज्ञान-साकारोपयोगयुक्त जीव ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी ? गौतम ! उनमें चार ज्ञान भजना से पाए जाते हैं । श्रुतज्ञान-साकारोपयोगयुक्त जीवों का कथन भी इसी प्रकार जानना । अवधिज्ञानसाकारोपयोगयुक्त जीवों का कथन अवधिज्ञानलब्धिमान जीवों के समान करना । मनःपर्यवज्ञान-साकारोपयोग-युक्त जीवों का कथन मनःपर्यवज्ञानलब्धिमान जीवों के समान करना । केवलज्ञान-साकारोपयोगयुक्त जीवों का कथन केवलज्ञानलब्धिमान जीवों के समान समझना । मति-अज्ञानसाकारोपयोगयुक्त जीवों में तीन अज्ञान भजना से पाए जाते हैं । इसी प्रकार श्रुत-अज्ञानसाकारोपयोगयुक्त जीवों को कहना । विभंगज्ञान-साकारोपयोगयुक्त जीवों में नियमतः तीन अज्ञान पाए जाते हैं।
भगवन् ! अनाकारोपयोग वाले जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? गौतम ! अनाकारोपयोगयुक्त जीव ज्ञानी भी हैं और अज्ञानी भी हैं । उनमें पाँच ज्ञान अथवा तीन अज्ञान भजना से पाए जाते हैं । इसी प्रकार चक्षुदर्शन और अचक्षुदर्शन अनाकारोपयोगयुक्त जीवों के विषय में समझ लेना चाहिए; किन्तु इतना विशेष है कि चार ज्ञान अथवा तीन अज्ञान भजना से होते हैं । भगवन् ! अवधिदर्शन-अनाकारोपयोगयुक्त जीव ज्ञानी होते हैं अथवा अज्ञानी ? गौतम वे ज्ञानी भी होते हैं और अज्ञानी भी । जो ज्ञानी होते हैं, उनमें कईं तीन ज्ञान वाले होते हैं और कईं चार ज्ञान वाले होते हैं । जो तीन ज्ञान वाले होते हैं, वे आभिनिबोधिकज्ञानी, श्रुतज्ञानी और अवधिज्ञानी होते हैं और जो चार ज्ञान वाले
मुनि दीपरत्नसागर कृत् "(भगवती) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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