Book Title: Agam 05 Bhagwati Sutra Part 01 Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar

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Page 200
________________ आगम सूत्र ५, अंगसूत्र-५, 'भगवती/व्याख्याप्रज्ञप्ति-1' शतक/ शतकशतक/उद्देशक/ सूत्रांक अधःसप्तमपृथ्वी में होते है । अथवा दो रत्नप्रभा में और सख्यात शर्कराप्रभा में होते है इसी प्रकार यावत् दो रत्नप्रभा में, और सख्यात अधःसप्तमपृथ्वी में होता है। अथवा तीन रत्नप्रभा में और शर्कराप्रभा में होते है । इसी प्रकार इसी क्रम से एक-एक नारक का संचार करना चाहिए । यावत् दस रत्नप्रभा में और संख्यात शर्कराप्रभा में होते है । इस प्रकार यावत् अथवा दस रत्नप्रभा में और संख्यात अधःसप्तमपृथ्वी में होता है । अथवा सख्यात में और संख्यात शर्कराप्रभा में होते है । इस प्रकार यावत् संख्यात रत्नप्रभा में और संख्यात अधःसप्तमपृथ्वी में होता है । अथवा एक शर्कराप्रभा में और संख्यात बालुकाप्रभा में होते है । जिस प्रकार रत्नप्रभापृथ्वी का शेष नरकपृथ्वीयों के साथ संयोग किया, उसी प्रकार शर्कराप्रभापृथ्वी का भी आगे की सभी नरक-पृथ्वीयों के साथ संयोग करना चाहिए । इसी प्रकार एक-एक पृथ्वी का आगे की नरकपृथ्वीयों के साथ संयोग करना चाहिए; यावत् अथवा संख्यात तमःप्रभा में और संख्यात अधःसप्तमपृथ्वी में होता है। अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में और संख्यात बालुकाप्रभा में होते है । अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में और संख्यात पंकप्रभा में होते है। इसी प्रकार यावत् एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में और संख्यात अधःसप्तमपृथ्वी में होता है । अथवा एक रत्नप्रभा में, दो शर्कराप्रभा में और संख्यात बालुकाप्रभा में, यावत् अथवा एक रत्नप्रभा में, दो शर्कराप्रभा में और संख्यात अधःसप्तमपृथ्वी में | अथवा एक रत्नप्रभा में, तीन शर्कराप्रभा में, और संख्यात बालुकाप्रभा में होते है । इस प्रकार इसी क्रम से एक-एक नारक का अधिक संचार करना । अथवा एक रत्नप्रभा में, सख्यात शर्कराप्रभा और संख्यात बालुकाप्रभा में होते है; यावत् अथवा एक रत्नप्रभा में, संख्यात बालुकाप्रभा में और संख्यात अधःसप्तमपृथ्वी में होता है । अथवा दो रत्नप्रभा में, संख्यात शर्कराप्रभा में और संख्यात बालुकाप्रभा में होते है; यावत् अथवा दो रत्नप्रभा में, संख्यात शर्कराप्रभा में और संख्यात अधःसप्तमपृथ्वी में होता है । अथवा तीन रत्नप्रभा में, संख्यात शर्कराप्रभा में और संख्यात बालुकाप्रभा में होते है। इस प्रकार इस क्रम में रत्नप्रभा में एक-एक नैरयिक का संचार करना, यावत् अथवा संख्यात रत्नप्रभा में, संख्यात शर्कराप्रभा में और संख्यात बालुकाप्रभा में होते है, यावत् अथवा संख्यात रत्नप्रभा मे, संख्यात शर्कराप्रभा में और संख्यात अधःसप्तमपृथ्वी में होते है । अथवा एक रत्नप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में और संख्यात पंकप्रभा में होते है, यावत् अथवा एक रत्नप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में और संख्यात अधःसप्तमपृथ्वी में होते है । अथवा एक रत्नप्रभा में, दो बालुकाप्रथा में और संख्यात पंकप्रभा में होते है। इसी प्रकार इसी क्रम से त्रिकसंयोगी, यावत् सप्तसंयोगी भंगो के कथन, दस नैरयिकसम्बन्धी भंगो के समान करना । अन्तिम भंग जो सप्तसंयोगी है, यह है अथवा संख्यात रत्नप्रभा में, संख्यात शर्कराप्रभा में यावत् संख्यात अधःसप्तमपृथ्वी में होते है। भगवन् ! असंख्यात नैरयिक, नैरयिक, नैरयिक-प्रवेशक द्वारा प्रवेश करते है ? इत्यादि प्रश्न । गांगेय ! वे रत्नप्रभा अथवा यावत् अधःसप्तमपृथ्वी में होते है, अथवा एक रत्नप्रभा में और असंख्यात शर्कराप्रभा में होते है। संख्यात नैरयिको के द्विकसंयोगी यावत् सप्तसंयोगी भंग समान असंख्यात के भी कहना । विशेष यह कि यहाँ 'असंख्यात यह पद कहना चाहिए । शेष पूर्ववत् । यावत्-अन्तिम आलापक यह है-अथवा असंख्यात रत्नप्रभा में, असंख्यात शर्कराप्रभा में यावत् असंख्यात अधःसप्तमपृथ्वी में होते है। भगवन् ! असंख्यात नैरयिक, नैरयिक-प्रवेशक द्वारा प्रवेश करते है ? इत्यादि प्रश्न | गांगेय ! वे रत्नप्रभा अथवा यावत् अधःसप्तमपृथ्वी में होते है, अथवा एक रत्नप्रभा में ओर असंख्यात शर्कराप्रभा में होते है । संख्यात नैरयिको के द्विकसंयोगी यावत् सप्तसंयोगी भंग समान असंख्यात के भी कहना । विशेष यह कि यहाँ असंख्यात यह पद कहना चाहिए । शेष पूर्ववत् । यावत्-अन्तिम आलापक यह है-अथवा असंख्यात रत्नप्रभा में, असंख्यात शर्कराप्रभा में यावत् असंख्यात अधःसप्तमपृथ्वी में होते है। भगवन ! नैरयिक जीव नैरयिक-प्रवेशनक द्वारा प्रवेश करते हुए उत्कृष्ट पद में क्या रत्नाप्रभा में उत्पन्न होते है? इत्यादि प्रश्न । गांगेय ! सभी नैरयिक रत्नप्रभा में होते है। (द्विकसंयोगी ६ भंग)-अथवा रत्नप्रभा और शर्कराप्रभा में होते है । अथवा रत्नप्रभा और बालुकाप्रभा में होते मुनि दीपरत्नसागर कृत् "(भगवती) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद" Page 200

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